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देसी मजदूर दुर्लभ, विदेशी की गुहार

Last Updated- December 07, 2022 | 6:01 AM IST

श्रमिकों की किल्लत और महंगी मजदूरी की वजह से मध्यम और छोटी आकार की कंस्ट्रक्शन कंपनियों को समय पर परियोजनाएं पूरी करने में समस्या आ रही हैं।


इसकी वजह से कई कंपनियां शहर के बाहर से श्रमिकों की मंगाने की योजना बना रही हैं, वहीं कुछ कंपनियां वियतनाम, जांबिया और थाइलैंड जैसे देशों से श्रमिकों को मंगाने की बात कह रही हैं।

श्रमिकों के अभाव में समय पर परियोजनाएं पूरी नहीं होने से कई कंपनियों को अदालती कार्रवाई तक का सामना करना पड़ रहा है। कंपनियों का कहना है कि तय समय पर प्रॉपर्टी नहीं मिलने से खरीदार मामले को कोर्ट तक ले जाते हैं।

मुंबई, दिल्ली और चेन्नई जैसे शहरों में परंपरागत रूप से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश से श्रमिक काम की तलाश में आते हैं। वर्तमान में स्थिति काफी बदल चुकी है। इन राज्यों में तेजी से हो रहे विकास कार्य की वजह से अब श्रमिकों को वहीं काम मिलने लगा है। ऐसे में वे अपना घर-बार छोड़कर कहीं और जाने की जहमत उठाने को तैयार नहीं हैं। इससे बड़े शहरों, खासकर मेट्रो सिटी में श्रमिकों की कमी होने लगी है।

यही वजह है कि कुछ कंपनियों ने सरकार से कहा कि उन्हें थाइलैंड, जांबिया और वियतनाम जैसे देशों से श्रमिक ‘आयात’ करने की अनुमति दी जाए, जिसकी मंजूरी सरकार ने दे दी है। चेन्नई स्थित कंस्ट्रक्शन कंपनी सीसीसीएल को भी श्रमिक आयात करने की अनमुति मिली है। कंपनी को विभिन्न परियोजनाओं के लिए तकरीबन 1,500 श्रमिक और बढ़ई की दरकार है, जिसके लिए वह वियतनाम, जांबिया और थाइलैंड से श्रमिक मंगाने की तैयारी कर रही है।

कंपनी के चेयरमैन और सीईओ आर. सारावेश्वर का कहना है कि स्टील की कीमतों में इजाफा होने से पहले ही लागत काफी बढ़ चुकी है। ऐसे में अकुशल श्रमिकों-बढ़ई, इलेक्ट्रिशियन और प्लंबर की किल्लत से परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में कठिनाई आ रही है। उन्होंने बताया कि घरेलू बाजार के अपेक्षा बाहर से श्रमिक मंगाने का खर्च निश्चित रूप से ज्यादा आता है, लेकिन हमारे पास इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं है।

सच तो यह है कि कंपनी की प्राथमिकता समय पर परियोजनाओं को पूरा करना है। उन्होंने बताया कि घरेलू श्रमिकों की तुलना में बाहरी श्रमिकों को तीन गुना अधिक भुगतान करना पड़ता है।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय बढ़ई जहां एक दिन में पांच वर्ग मीटर वुडवर्क का काम करने में सक्षम हैं, वहीं वियतनामी श्रमिक एक दिन में 10 वर्ग मीटर तक काम कर लेते हैं। हैदराबाद के एक ठेकेदार आर. सत्यमूर्ति ने बताया कि श्रमिकों की इतनी किल्लत है कि दोगुनी मजदूरी देने पर भी समय पर श्रमिक उपलब्ध नहीं हो पाता है।

First Published - June 17, 2008 | 12:19 AM IST

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