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सीमेंट कंपनियों के लिए मुश्किल दौर

Last Updated- December 07, 2022 | 10:05 AM IST

सीमेंट उद्योग पहले ही लगातार सरकारी हस्तक्षेप की वजह से लड़खड़ा रहा है, लेकिन अब यह और भी मुश्किल दौर का सामना करने वाला है।


डीजल की बढ़ती कीमतों, बोरियों के बढ़ते दामों के बाद सीमेंट कंपनियों को कोल इंडिया लिमिटेड की नई शर्तों पर कोयले की सप्लाई की मार झेलनी पड़ेगी। डीजल और पॉलीप्रोपीलीन बोरियों की बढ़ी कीमतों के दोहरी मार से सीमेंट उद्योग को प्रति टन 47 से 50 रुपये का नुकसान हो रहा है।

इससे पिछली दो तिमाहियों में कच्चे माल की लागत भी लगभग 12 प्रतिशत बढ़ गई है, जिसकी वजह कोयले, जिपसम और बिजली की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। कोल इंडिया, जो सीमेंट की प्रमुख कंपनियों एसीसी, अंबुजा और अल्ट्राटेक के अलावा अन्य कंपनियों को भी कोयला सप्लाई करती है, ने कंपनियों को हर साल सप्लाई करने वाली मात्रा को 80 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत कर दिया है और अब कंपनी को अपनी इस भरपाई के लिए हाजिर बाजार से कोयला खरीदना पड़ रहा है।

उद्योग जगत यह नुकसान बाजार को नहीं दे सकता, क्योंकि उद्योग ने तीन महीनों के लिए कीमतों को समान स्तर पर रखने का वादा किया था। कीमतों में किसी भी तरह का कोई बदलाव अगस्त के मध्य के बाद ही हो सकता है। तब तक के लिए कंपनियों को लागत में हुए इस नुकसान को खुद ही झेलना होगा। सीमेंट कंपनियों जैसे एसीसी और अंबुजा पहले ही जनवरी-मार्च 2007 की तिमाही के मुकाबले वित्त वर्ष 2008 की समान तिमाही में अपने शुध्द लाभ में गिरावट देख चुकी हैं।

उद्योग जगत का कहना है कि मौजूदा कराणों की वजह से अप्रैल-जून वाली तिमाही में भी कंपनियों के प्रदर्शन में सुधार नहीं होने वाला। एसीसी का कहना है कि डीजल की कीमतों में वृध्दि का प्रति टन पर 19 रुपये असर पड़ेगा, जबकि कंपनी पहले ही हर 50 किलोग्राम की बोरी पर 1.40 रुपये का अतिरिक्त बोझ उठा रही है। जब तीन महीने की कीमतों को न बढ़ाए जाने की अवधि समाप्त होगी, तब भी एक साथ कीमतों में इजाफा करना भी मुश्किल होगा। सीमेंट उद्योग 2007-08 में अपन क्षमता को 1 करोड़ टन से अधिक बढ़ाकर 17.56 करोड़ टन कर चुका है।

सीमेंट निर्माता कंपनियों के संघ के अनुसार 2008-09 में उम्मीद है कि उद्योग 3.2 करोड़ टन की अतिरिक्त क्षमता को बढ़ा लेगा। उद्योग जगत के एक विशेषज्ञ के अनुसार, ‘इस साल नई क्षमताओं से सीमेंट की कीमतों पर दबाव बढ़ेगा और इससे कीमतों के इजाफे के मौकों में कमी आएगी।’ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि रियल एस्टेट क्षेत्र में ब्याज दरों के बढ़ाने की वजह से अनुमानित मंदी के कारण सीमेंट की मांग पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।

First Published - July 10, 2008 | 12:38 AM IST

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