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ईंधन की कीमत बढ़ने से बेजार रिटेलर तलाशेंगे देसी बाजार

Last Updated- December 07, 2022 | 5:02 AM IST

कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से ढुलाई भाड़े में हुई बढ़ोतरी अब रिटेल दिग्गजों पर भी भारी पड़ने लगी है।


बढ़ते खर्च से निपटने के लिए वैश्विक रिटेलर चीन और भारत से अपने ऑर्डरों में कटौती कर स्थानीय बाजारों से सामानों की खरीददारी में इजाफा कर सकते हैं।

भागीदारी शुरू

इस बारे में सलाहकार संस्था प्राइसवाटरहाउसकूपर्स की ओर से कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक जींस निर्माता लेवाइस ट्राउस ऐंड कंपनीज और टेस्को पीएलसी जैसी कंपनियां ढुलाई खर्च में कमी लाने, पर्यावरण के मसलों पर ध्यान देने  और गुणवत्ता सुधार को ध्यान में रखकर स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ भागीदारी कर रही हैं।

कच्चे तेल की कीमतों में पिछले एक वर्ष में दोगुनी से भी अधिक की बढ़ोतरी हुई है। पिछले सप्ताह तेल कीमतें 139.12 डॉलर प्रति बैरल यानी 5564 रुपये प्रति बैरल पर पहुंच गईं। ‘ग्लोबल सोर्सिंग: शिफ्टिंग स्ट्रैटेजीज’ नामक इस अध्ययन में कहा गया है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी और गुणवत्ता को ध्यान में रखकर कंपनियां स्थानीय विश्वस्त आपूर्तिकर्ताओं की तलाश में जुट गई हैं।

पेरिस की बीमा कंपनी यूलर हर्मेस एसएफएसी में रिटेल विशेषज्ञ एनी गिरैक ने कहा, ‘संक्षिप्त समय में तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है और रिटेलर इससे परेशानी महसूस करने लगे हैं। यदि यह बढ़ोतरी इसी ऊंचाई पर बनी रही तो रिटेलर स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं की ओर रुख करने लगेंगे।’

तेल से बिगड़े आंकड़े

विश्व बैंक ने कहा है कि तेल कीमतों में बढ़ोतरी से वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को नुकसान पहुंच रहा है। 8 देशों में 59 अधिकारियों के साथ साक्षात्कारों पर आधारित इस अध्ययन में कहा गया है कि वैश्विक रिटेलरों और उपभोक्ता कंपनियों के तीन-चौथाई रिटेलरों की प्रमुख चिंता मुद्रास्फीति है।

कंपनियां गुणवत्ता नियंत्रण पर हो रहे खर्च को लेकर भी खासी परेशान हैं। सर्वेक्षण में शामिल तकरीबन 90 प्रतिशत कंपनियों ने इस प्रक्रिया में हो रहे खर्च का आंकडा बदलने को भी भविष्य की अपनी प्रमुख चिंता माना है।

शुरू हुआ इलाज

खिलौना निर्माता कंपनी मेटल इंक. ने अप्रैल में कहा था कि चीन में निर्माण खर्च अधिक होने, मुद्रा और स्थानीय मुद्रास्फीति में वृद्धि से कंपनी को बड़ा घाटा उठाना पड़ा है। इस कंपनी को कुछ उत्पादों के रंग में सीसा की अधिक मात्रा होने के कारण 2007 में 2.1 करोड़ डॉलर से अधिक चीन-निर्मित उत्पाद वापस लेने पडे थे।

विश्व की सबसे बड़ी दही निर्माता कंपनी गु्रप डेनोन एसए ने कहा था कि उसने स्थानीय बाजारों के लिए गुणवत्तायुक्त दूध की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अल्जीरिया, सऊदी अरब और चीन जैसे देशों में बड़े फार्म बनाने की योजना बनाई है।

ढुलाई बड़ी मुश्किल

प्राइसवाटरहाउसकूपर्स ने सर्वेक्षण के बाद जारी रिपोर्ट में ढुलाई को तमाम मुश्किलों की जड़ बताया है। उसे मुताबिक रिटेल कंपनियों के लिए चीन और भारत जैसे देशों से बड़ी मात्रा में सामानों की खरीदारी करना और फिर कर एवं आयात शुल्कों के बाद उनकी ढुलाई आसान काम नहीं है। सर्वेक्षण में शामिल एक-तिहाई रिटेलरों का मानना है कि वैश्विक खरीदारी उनके लिए फायदेमंद नहीं है। इसलिए वे ढुलाई से बचने के लिए स्थानीय स्तर पर ही सामान की तलाश कर रही हैं।

First Published - June 12, 2008 | 12:15 AM IST

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