ट्रक और भारी वाहन बनाने वाली कंपनी आयशर मोटर्स लिमिटेड और दुनिया में दूसरे नंबर की ट्रक निर्माता कंपनी एबी वोल्वो ने अपने साझे उपक्रम के तहत अलग-अलग ब्रांड बरकरार रखने का फैसला किया है।
दोनों कंपनियां भारत में अपना कारोबार तो शुरू करेंगी, लेकिन उनमें से किसी की भी ब्रांड छवि खत्म नहीं की जाएगी।
ब्रांड अलग-अलग
दोनों दिग्गजों के साझे उपक्रम को वोल्वो आयशर कॉमर्शियल व्हीकल्स लिमिटेड वीईसीएल का नाम दिया गया है। यह उपक्रम हल्के और मझोले आकार के वाणिज्यिक वाहन आयशर ब्रांड के तहत बनाएगा। प्रीमियम श्रेणी के भारी वाणिज्यिक वाहन वोल्वो ब्रांड के तहत बनाए जाएंगे।
दिलचस्प है कि आयशर मोटर्स इस समय भी भारी वाणिज्यिक वाहन बनाती है, जो 50 टन या उससे अधिक वजन ढो सकते हैं। साझा उपक्रम के काम शुरू करने के बाद भी कंपनी इन वाहनों का निर्माण करती रहेगी।
इंजीनियरिंग डिजायन और पुर्जों के परिचालन का आयशर मोटर्स का कारोबार भी वीईसीएल के छाते तले ही आ जाएगा। लेकिन वोल्वो का लक्जरी बस का कारोबार इसके दायरे से बाहर रहेगा। इसी तरह स्वीडन की वोल्वो की इन बसों की सर्विसिंग का काम भी साझा उपक्रम में नहीं आएगा। इसी तरह आयशर की रॉयल इनफील्ड मोटरसाइकिल्स इकाई साझे उपक्रम की परिधि में नहीं आएगी और यह आयशर के ही पास रहेगी।
आयशर मोटर्स में फिलहाल 58.2 फीसद इक्विटी आयशर गुडअर्थ इनवेस्टमेंट के पास है। वह वाणिज्यिक वाहन कारोबार को 202 करोड़ रुपये के बदले वीईसीएल को दे देगी।
वोल्वो की कम हिस्सेदारी
वोल्वो इस साझा उपक्रम कंपनी में 1082 करोड़ रुपये लगाएगी। इसके अलावा वह भारत में अपने ट्रक कारोबार को भी वीईसीएल के हाथों में सौंप देगी। वीईसीएल में वोल्वो की 45.6 फीसद हिस्सेदारी है, जबकि आयशर की बाकी 54.4 फीसद हिस्सेदारी है। वोल्वो आयशर मोटर्स में भी 8.1 फीसद हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी। इसके साथ ही आयशर समूह में वोल्वो की कुल हिस्सेदारी 50 फीसद हो जाएगी।
साझे उपक्रम वाली इस कंपनी के पास भारत में वोल्वो के सभी ट्रक कारोबारों का विशिष्ट वितरण अधिकार होगा। इसमें गैर प्रतियोगिता वाला प्रावधान भी होगा। आयशर मोटर्स और उसके प्रमोटर इस मामले में समझौता कर चुके हैं। उसके मुताबिक कंपनी भविष्य में कभी नए ट्रक और बस नहीं लाएगी। इसके बदले वोल्वो आयशर और उसके प्रमोटरों को 39-39 करोड़ रुपये देगी।
इसके अलावा आयशर गुडअर्थ ने जनता से शेयरों के बायबैक की भी पेशकश की है। बायबैक भी उसी अनुपात और उसी कीमत पर किया जाएगा, जिस पर उन्हें वोल्वो को बेचा गया है। यदि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) शेयरों के बायबैक को हरी झंडी दे देता है, तो 691.68 रुपये प्रति शेयर की कीमत से 13.12 फीसद शेयर खरीदे जाएंगे।