जैव ईंधन उत्पादन में एक महत्वपूर्ण खोज करते हुए पुणे की प्राज इंडस्ट्रीज कंपनी ने घास, भूसा और लकड़ी के टुकड़ों से एथेनॉल के उत्पादन की विधि ईजाद की है।
प्राज इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष प्रमोद चौधरी ने कहा कि जहां एथेनॉल उत्पादन में खाद्य संसाधनों के इस्तेमाल के लिए जैव ईंधन को आलोचना का सामना करना पड़ता रहा है वहीं प्राज इंडस्ट्रीज ने घास, भूसा और लकड़ी से एथेनॉल के उत्पादन का विकल्प ढूंढ़ निकाला है।
गैर-पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र में सक्रिय प्राज इंडस्ट्रीज ने एथेनॉल के नए मिश्रण को तैयार किया है जो उच्च ऊर्जा वाला ईंधन है। इस ईंधन को पेट्रोल और डीजल के साथ मिश्रित किया जाएगा। प्राज इंडस्ट्रीज के नए शोध एवं विकास केंद्र का उद्धाटन के बाद चौधरी ने बताया, ‘जहां पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता अनाज-आधारित एथेनॉल उत्पादन के मामले में खाद्य बनाम तेल बहस पर आमने-सामने हैं, वहीं हमने एथेनॉल उत्पादन के लिए गैर-खाद्य जैव ईंधन का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है।
अब मानव और पशुओं के लिए अनाज बचाया जा सकेगा।’ प्राज लिगनो-सेलूलोजिक फीडस्टॉक के इस्तेमाल से एथेनॉल के उत्पादन के लिए पेटेंट पहले ही प्राप्त कर चुका है। उन्होंने कहा, ‘हमने सेलूलोज को परिवर्तितत करने के लिए कुछ खास एसिड और एंजाइम का इस्तेमाल किया। इसके बाद इस सेलूलोज को एक गैस में तब्दील करने के लिए थर्मल ट्रीटमेंट का सहारा लिया गया।’
प्राज मीठे जवार के इस्तेमाल से एथेनॉल उत्पादन की विधि पहले ही खोज चुकी है। चौधरी ने बताया, ‘जैव ईंधन उत्पादन के लिए मीठे जवार का इस्तेमाल अब एक प्रमुख विधि है और टाटा केमिकल्स ने महाराष्ट्र के नांदेड़ में इसी तकनीकी पर आधारित एक विशाल संयंत्र स्थापित किया है। हमारी खोज जैव ईंधन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विकास साबित होगी।’
कंपनी की जैव ईंधन क्षेत्र में कोलंबिया, मैडागास्कर और घाना जैसे देशों में बड़ी बाजार भागीदारी है। प्राज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शशांक ईनामदार ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि भारत में पेट्रोल और डीजल में 10 प्रतिशत एथेनॉल के मिश्रण की सरकारी अनुमति मिलने के बाद भारतीय जैव ईंधन बाजार तेज गति से विकास करेगा।’