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उत्पाद कर के मामले में यामहा को राहत

Last Updated- December 06, 2022 | 11:02 PM IST

कर न्यायाधिकरण ने दोपहिया वाहन कंपनी यामाहा मोटर्स इंडिया की उस अपील को स्वीकार कर लिया है जिसमें बिक्री के बाद दी जाने वाली कंपनी की मुफ्त सेवा के लिए उत्पाद शुल्क चुकाने के अधिकारियों के निर्देश को चुनौती दी गई थी।


एस. एस. कांग और राकेश कुमार की पीठ ने यामाहा की अपील को स्वीकार करते हुए कहा है कि कंपनी द्वारा वारंटी अवधि के दौरान मुफ्त आफ्टर-सेल्स-सर्विस की पेशकश ‘एसेसेबल वैल्यू’ का हिस्सा नहीं है जिस पर शुल्क चुकाया जाए।


उत्पाद शुल्क अधिकारियों ने कंपनी पर 1.5 करोड़ रुपये का शुल्क लगाया और इतनी ही राशि का जुर्माना भी किया है। अधिकारियों के अनुसार यामाहा ने आफ्टर-सेल्स-सर्विस के लिए अपने डीलर को प्रति सर्विस 70 रुपये का भुगतान किया।यह मामला जुलाई 2002 और दिसंबर 2003 के बीच का है जब कंपनी ने वारंटी अवधि के दौरान मुफ्त सेवा की स्कीम शुरू की थी।


अधिकारियों के मुताबिक यह राशि बाइक की एसेसेबल वैल्यू में शामिल नहीं थी। विभाग ने सेंट्रल एक्साइज रूल्स, 1944 और सेंट्रल एक्साइज वैल्यूशन रूल्स के तहत कंपनी पर जुर्माना लगाया। यामाहा ने कस्टम एक्साइज ऐंड सर्विस टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल के समक्ष इस आधार पर चुनौती दी थी कि कंपनी ऐसी किसी सर्विस के लिए डीलरों से राशि नहीं ले रही है। डीलरों को दी गई राशि बाइक की एसेसेबल वैल्यू में पहले ही शामिल है।


कंपनी ने यह भी दावा किया कि उसने उस अवधि के दौरान अपनी लागत कीमत से कम पर बाइक की बिक्री की जिसमें सेवा शुल्कों को शामिल नहीं किया जा सकता। इसके विपरीत उत्पाद कर विभाग ने ट्रिब्यूनल के समक्ष तर्क पेश किया कि कंपनी इस बात के सबूत देने में विफल रही है कि सेवा के खर्च को बाइक के एसेसेबल वैल्यू में पहले ही शामिल कर लिया गया।

First Published - May 12, 2008 | 11:38 PM IST

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