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वित्त वर्ष 2020 में बैंकों का वैश्विक व्यवसाय बढ़ा

Last Updated- December 15, 2022 | 7:53 AM IST

वित्त वर्ष 2019 में वैश्विक अग्रिमों में दबाव या वृद्घि की सपाट दर दर्ज किए जाने के बाद भारतीय बैंकों ने वित्त वर्ष 2020 में वैश्विक उधारी में 7.5-43.1 फीसदी की वृद्घि दर्ज की और स्थानीय व्यवसाय तथा बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) पर जोर दिया। फरवरी 2018 में पंजाब नैशनल बैंक में हुई धोखाधड़ी के बीच लेटर्स ऑफ कम्फर्ट (एलओसी) रद्द किए जाने के बाद वित्त वर्ष 2019 में, अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय को झटका लगा था।  उस साल मार्च में आरबीआई ने आयात में ट्रेड क्रेडिट के लिए एलओयू और एलओसी जारी करना बंद कर दिया।
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा कि उसने नए उद्यमों को शामिल कर और ईसीबी के जरिये विदेशी मुद्राओं में ऋण की व्यवस्था के जरिये भारतीय कंपनियों को राहत प्रदान की। इसके अलावा बैंक ने वैश्विक कंपनियों को भी वित्तीय सहायता मुहैया कराई। एसबीआई ने भारत से संबंधित कंपनियों के लिए 9.2 अरब  डॉलर और विदेशी कंपनियों को 11.35 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा ऋण मंजूर किए। ऊर्जा के क्षेत्र में बैंक ने अस्थिर कच्चे तेल भाव और विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव के बीच भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए पेट्रोलियम कंपनियों को 1.82 अरब डॉलर मुहैया कराए।
एसबीआई के एमडी दिनेश खारा ने कहा कि व्यवसाय कारोबार प्रवाह और स्थानीय बाजारों में आर्थिक गतिविधियों पर निर्भर करेगा।

First Published - June 27, 2020 | 12:38 AM IST

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