बुनियादी ढांचा और निर्माण से जुड़े जीएमआर समूह की योजना 2010 के अंत तक व्यावसायिक एयरलाइन लॉन्च करने की है।
सूत्रों का कहना है, जीएमआर जो पहले ही विमानन बुनियादी ढांचा और निर्माण कारोबार (चार्टर्ड उड़ानें संचालित करती है) में है और आम विमानन कारोबार में उतरने के लिए समूह ने विमानन क्षेत्र से ही जुड़े अनुभवी अधिकारियों की एक टीम गठित की है, जो समूह के लिए खाका तैयार करेगी। समूह को नियमित एयरलाइन का परिचालन करने के लिए सरकार से लाइसेंस भी लेना होगा।
जीएमआर पहले ही चार्टर्ड एयरलाइन के कारोबार में है और इस कारोबार के लिए समूह ही जीएमआर एविएशन प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी भी है। इस कंपनी के पास फिलहाल एक 9 सीटों वाला फैलकॉन एयरक्राफ्ट और एक हेलीकॉप्टर भी है। इसके अलावा 5 सीटों वाला एक अन्य एयरक्राफ्ट भी जीएमआर इंडस्ट्रीज ने खरीदा हुआ है।
एयरपोर्ट बुनियादी ढांचा और निर्माण कार्य में यह सबसे बड़ा समूह है और इसके पास भारत और विदेश में मुख्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजनाएं भी हैं। फिलहाल यह कंपनी हैदराबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर निर्माण कार्य कर रही है। यह नई हवाई अड्डा परियोजना पहले से ही शुरू हो चुकी है। इसके अलावा कंपनी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा में सुधार कर उसे आधुनिक बना रही है। कंपनी ने अभी मार्च में ही बोली लगा कर तुर्की के इस्तानबुल में सबिहा गोकेन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के निर्माण का ठेका हासिल किया है।
अलग घरेलू उड़ान लॉन्च करने के समूह के विचार पर जीएमआर समूह के प्रवक्ता का कहना है, ‘जब समूह पहले ही आम विमानन कारोबार सेगमेंट में है, अभी इसकी कंपनी की कारोबारी योजनाओं के बारे में बात करना काफी जल्दबाजी होगी। समूह की नीतियों के तहत, कंपनी ऐसे किसी विषय पर बात नहीं करती जो सुनी सुनाई हों। ‘ उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार पहले जीएमआर चार्टर कारोबार में बिजनेस क्लास के साथ उतरने की भी बातचीत कर रहा था, जैसा निजी एयरलाइन पैरामाउंट एयरवेज ने किया है और वह भी मुनाफा कमाने वाले स्थानीय रूटों पर।
हालांकि उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय किसी भी नई कंपनी का कारोबार में उतरना काफी अनोखा लग रहा है, जब पहले से मौजूद कंपनियां नुकसान झेल रही हैं। उन्होंने इस ओर भी संकेत दिया कि 2010 तक उद्योग में बड़ी संख्या में विलय होंगे और बाजार में सिर्फ 3 से 4 बड़ी कंपनियां ही रह जाएंगी।
जीएमआर अपनी मजबूत वित्तीय स्थिति के दम पर या तो मौजूदा किसी कंपनी को खरीद लेगी या फिर वह अगले दो वर्षों के लिए लाइसेंस लेगी। अभी यह साफ नहीं हुआ है कि जीएमआर समूह इस बात का फायदा उठाएगा कि वह देश में कई महत्वपूर्ण हवाई अड्डों का परिचालन कार्य संभालता है और इसलिए वह उड़ानों के परिचालन में आने वाली लागत में इसके चलते बचत करेगा।