वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 प्रमुख मंत्रालयों के तहत आने वाली 7 सरकारी कंपनियों से कहा कि वे अपने पूंजीगत आवंटन का 50 प्रतिशत खर्च एक अक्टूबर के पहले खर्च करें। सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर व्यय बरकरार रखकर कोविड-19 के कारण सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को गति देने पर विचार कर रही है।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि राजस्व में गिरावट के बावजूद केंद्र सरकार इस वित्त में 4.12 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को हासिल कर लेगी।
आधिकारिक बयान के मुताबिक सीतारमण ने जहाजरानी, सड़क परिवहन, शहरी मामले, रक्षा और दूरसंचार विभाग के सचिवों के साथ इन विभागों के तहत आने वाले 7 सरकारी कंपनियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की।
बयान में कहा गया है कि यह वित्त मंत्री की चल रही इस तरह की बैठकों में तीसरी बैठक है, जिसके तहत वह कोविड-19 महामारी को देखते हुए आर्थिक गति देने की कवायद में विभिन्न हिस्सेदारों से बातचीत कर रही हैं।
वित्त वर्ष 21 में 7 सरकारी कंपनियों का कुल मिलाकर पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 1.25 लाख करोड़ रुपये है। सीतारमण ने संबंधित सचिवों से कहा कि वह सीपीएसई के प्रदर्शन की नजदीकी से जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि अपने पूंजीगत व्यय का 50 प्रतिशत चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के अंत तक खर्च करें।
जुलाई के अंत तक इन पीएसयू ने करीब 45,105 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसका मतलब है कि अगस्त और सितंबर में उन्हें 17,307.50 करोड़ रुपये खर्च करने हैं, जिससे वे 62,412.50 करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल कर सकें, जो इस वित्त वर्ष के पूंजीगत व्यय के लक्ष्य का आधा है।
बयान में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 में 7 सीपीएसई का पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 1.30 लाख करोड़ रुपये था और उन्होंने करीब 1.15 लाख करोड़ रुपये या लक्ष्य का 88.37 प्रतिशत खर्च किया था।
इसमें कहा गया है, ‘सीपीएसई ने कोविड-19 महामारी के कारण आ रहे व्यवधानों पर चर्चा की। वित्त मंत्री ने कहा कि असाधारण परिस्थितियों में असाधारण कवायद की जरूरत है और सामूहिक प्रयास से न सिर्फ हम बेहतर प्रदर्शन करेंगे, बल्कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बेहतर परिणाम देने में भी मदद मिलेगी।’