रक्षा मंत्रालय और ओएनजीसी ने भारतीय जल क्षेत्र में रिग परिचालन में चीन की हिस्सेदारी की व्यापक जांच शुरू कर दी है। ऐसा करने का कारण है कि तेल और गैस जैसे देश के सामरिक क्षेत्रों में चीन की दखल से सुरक्षा और निगरानी तंत्र को खतरा उत्पन्न हो रहा है।
सूत्रों का कहना है कि सामरिक क्षेत्रों के लिए नियमों को बहुत अधिक कठिन बनाने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
इसकी गहन जांच तब शुरू हुई जब सरकार के ध्यान में आया कि ओएनजीसी के ठेका के तहत जैकअप रिग के एक तिहाई का परिचालन करने वाली कंपनी शेल्फ ड्रिलिंग, जो रोजाना करीब 2,20,000 डॉलर का राजस्?व अर्जित करती है, का एकमात्र सबसे बड़ा शेयरधारक चाइना मर्चेंट ग्रुप (सीएमजी) है। यह क्षेत्र एवं सड़क (बेल्ट एवं रोड) पहल का एक प्रमुख सदस्य है।
कई वर्षों और हाल तक दुबई स्थित शेल्फ ड्रिलिंग के पास ओएनजीसी का ठेका था। यह ओस्लोस्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध थी और इसका स्वामित्व तीन इक्विटी कंपनियों के पास थी। 2019 में सीएमजी ने शेल्फ ड्रिलिंग में एक रणनीतिक हिस्सेदारी लेकर कंपनी में एकमात्र सबसे बड़ी शेयरधारक बन गई।
सार्वजनिक आंकड़ों के मुताबिक, सीएमजी की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी 19.4 फीसदी है, जबकि निजी इक्विटी कंपनियों कैसल हार्लन, चैम्प प्राइवेट इक्विटी और लाइम रॉक पार्टनर्स प्रत्येक की इसमें 12.5 फीसदी हिस्सेदारी है। शेल्फ ड्रिलिंग के बोर्ड में दो निदेशकों के जरिये सीएमजी का प्रतिनिधित्व है। सीएमजी द्वारा रणनीतिक हिस्सेदारी खरीद के बाद मूल निवेशकों में से एक चैम्प पीई ने बोर्ड में अपने प्रतिनिधित्व को वापस ले लिया है और उसे अब अंदर का सदस्य नहीं माना जाता है। शेल्फ की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, सीएमजी के पास प्रबंधन के नियंत्रण की योग्यता है और वह नीतिगत निर्णय लेती है।
शेल्ड ड्रिलिंग के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘भारत सरकार की ओर से हाल में जारी अधिसूचना में निष्पक्षता से यह स्पष्ट किया गया है कि भारत के साथ सीमा साझा करने वाले पड़ोसी देशों की कंपनियों/नागरिकों की स्टॉक भागीदारी का प्रतिशत कितना है। हम यह सूचित करना चाहेंगे कि हम उस स्वीकृत सीमा में हैं।’
ओएनजीसी के एक अधिकारी ने कहा कि शेल्फ ड्रिलिंग के साथ ठेके पहले से चले आ रहे हैं जो कि अलग अलग समय पर दिए गए हैं जिनका ठेका अवधि तीन साल है। मौजूदा ठेका 2022 तक है। ओएनजीसी के एक प्रवक्ता ने ईमेल से भेजे गए प्रश्नों के जबाव में कहा, ‘कोई भी ठेका देते वक्त ओएनजीसी सभी सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करती है और भविष्य में भी ऐसा ही किया जाएगा।’
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा ओएनजीसी चालू परियोजनाओं को बीच में ही नहीं रोक सकती है। अधिकारी ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘हालांकि, हम भारत सरकार के सभी नियमों का पालन करते हैं और पड़ोसी देशों की कंपनियों के संबंध में आए हालिया दिशानिर्देश का भी पालन आगे से ठेका देने के लिए किया जाएगा।’
23 जुलाई, 2020 के वित्त मंत्रालय के आदेश में कहा गया था कि भारत के साथ सीमा साझा करने वाले किसी भी देश का बोलीदाता यहां सामानों की किसी खरीद, सेवाओं या कार्यों में तब तक बोली लगाने के योग्य नहीं होगा, जब तक वह सक्षम प्राधिकरण में पंजीकृत नहीं हो जाता है।