देश में सस्ती हवाई सेवाओं की शुरुआत करने वाले जी. आर. गोपीनाथ का कहना है कि बजट एयरलाइंस टिकटों को महंगा कर खुद अपना ही नुकसान कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि टिकटों को महंगा करने और उड़ानों की संख्या को घटाने से नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती है। गोपीनाथ ने कुछ समय पहले देश के सबसे बड़े लो कॉस्ट करियर एयर डेक्कन को विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को बेच दिया था।
गोपीनाथ ने एक साक्षात्कार के दौरान बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘एलसीसी मॉडल को अपनाना घाटे का सौदा नहीं है।’ उन्होंने कहा कि इस समय देश में जितनी एलसीसी हैं, वे इस बात को नहीं समझ पा रही हैं कि बाजार में किस तरीके से डटे रहा जा सकता है।
गोपीनाथ ने कहा कि एलसीसी अपने नुकसान की भरपाई के लिए टिकटों के दाम बढ़ा रही हैं। या फिर वे अपनी उड़ानों को सीमित करने में जुटी हुई हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि इस तरीके से वे अपने घाटे को कम कर लेंगी। लेकिन, शायद ही उन्हें समझ में आ रहा हो कि वे नुकसान नहीं बल्कि कारोबार समेट रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करके वे एक दूसरे की बाजार हिस्सेदारी को ही कम कर रही हैं।
गोपीनाथ ने इसे विमान कंपनियों की अदूरदर्शिता बताया और कहा कि अगर विमान कंपनियां सही मायने में नुकसान से उबरना चाहती हैं और मुनाफे में लौटना चाहती हैं तो उन्हें अपने बाजार के विस्तार के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस रफ्तार से एलसीसी अपने किराए बढ़ा रही हैं, उससे इनके और फुल स्केल एयरलाइंस के किराए लगभग बराबर लगने लगे हैं। इससे कहीं से भी उनका भला होता नहीं दिख रहा है।
गोपीनाथ ने कहा कि जब एलसीसी और फुलस्केल एयरलाइंसों का किराया एक समान होगा तो कोई एलसीसी का टिकट आखिर क्यों लेगा? गोपीनाथ का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि विमान ईंधन की कीमतों में खासी बढ़ोतरी की वजह से अधिकांश एलसीसी कंपनियां टिकटों के दाम बढ़ाने पर विचार कर रही हैं।