दुनियाभर से मिलने वाले राजस्व का 65 फीसदी हिस्सा आईबीएम को गैर अमेरिकी बाजारों से मिलता है, इसलिए अब कंपनी ने जर्मनी, फ्रांस, इटली और स्पेन के बाजारों पर भी ध्यान दे रही है।
कंपनी ने इस कवायद में पुणे में एक भाषा अनुवाद सेवा केन्द्र (लैंग्वेज ट्रांसलेशन सर्विसेज सेंटर, एलटीएससी) खोला है। इस केन्द्र के जरिये कंपनी को गैर-अंग्रेजी देशों से अधिक उपभोक्ताआ मिलेंगे और साथ ही कंपनी विदेशी ग्राहकों और भारत की डेवलपमेंट टीमों के बीच संपर्क को भी सही तरीके से संभाल पाएंगे।
आईबीएम इंडिया के उपाध्यक्ष राजेश नाम्बियार ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि एलटीएससी ग्राहकों के बीच संपर्क में प्रमुख प्लैटफॉर्म और ग्राहकों और आईबीएम की तकनीकी टीमों के बीच मध्यस्थ का काम करेगा। इसी के साथ आईबीएम ने पुणे के हिन्जेवाडी के राजीव गांधी इन्फोटेक पार्क में अपना नया ग्लोबल डिलीवरी सेंटर भी लॉन्च किया है, जिसमें 2,000 लोगों के बैठने की क्षमता है।
नांबियार का कहना है, ‘एलटीसीएस आईबीएम के सभी ग्लोबल डिलीवरी सेंटरों पर ग्राहकों और पेशेवरों को गुणवत्ता के आधार पर बेहतरीन भाषा अनुवाद की सेवाएं देगा। इसमें डॉक्यूमेंट अनुवाद में सहायता जैसे कि ई-मेल, वेब पेजों और करारों के अनुवाद में सहायता शामिल है। इससे फ्रांसीसी, जर्मनी, स्पैनिश और इतालवी भाषाओं से अंग्रेजी में बेहतर और कुशल संपर्क किया जा सकेगा। हमारी योजना इस साल बाद में एशिया और यूरोप में कुछ और ऐसे केन्द्र स्थापित करने की है।’
भारत में 73 हजार कर्मियों वाली इस कंपनी ने एलटीएससी कार्यों को सहायता पहुंचाने के लिए शैक्षिक संस्थानों के साथ साझेदारी की है। आईबीएम ग्लोबल सर्विसेज के ग्लोबल ऑटोमोटिव इंडस्ट्री लीडर, संजय ऋषि का कहना है, ‘हम लोग यकीनन अनुवाद सेवाओं के कारोबार में नहीं हैं।
यह समूह हमें गैर-अंग्रेजी भाषी देशों में अपने ग्राहकों के साथ बेहतर संपर्क करने में मददगार साबिज होगा। इस केन्द्र में तकनीकी और गैर तकनीकी पेशेवर कर्मी होंगे, जो भाषा कुशल होंगे और हर भाषा के लिए ऐसे लोगों की नियुक्ति की जाएगी। यह समूह आईबीएम की डेवलपमेंट टीमों और ग्राहकों के बीच मध्यस्थ का काम करेंगे।’
ऋषि का कहना है, ‘हमारे साथ पहले ही इन भाषाओं के विशेषज्ञ जुड़े हुए हैं, जबकि कुछ और की नियुक्ति कर ली जाएगी। जरूरतों के अनुसार हम अपने कर्मियों के लिए ऑनलाइन भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम भी इस्तेमाल करेंगे।’ फिलहाल आईबीएम की गैर-अंग्रेजी बाजारों में क्या कारोबारी प्रक्रियाएं हैं, इस पर ऋषि का कहना है, ‘इस वक्त तो हम अनुवाद का काम या तो अपने ग्राहकों से ही कराते हैं या फिर वहां की स्थानीय एजेंसियों की मदद लेते हैं।
अगर यह काम एलटीएससी के जरिये होगा तो इसकी लागत में काफी कमी आएगी। इसके साथ ही यह काम व्यवस्थित और एकीकृत रूप में किया जा सकेगा।’ अगले कुछ समय में कंपनी जर्मनी के बड़े बाजार पर नजरें जमाए बैठी है। इसके बाद फ्रांसीसी और स्पैनिश भाषाओं से जुड़े बाजार भी कंपनी की फेहरिस्त में आते हैं।
उनका कहना है, ‘जापानी भाषा को भी इसे बाद एलटीएससी के साथ शामिल किया जाएगा, लेकिन अभी इस दौर में यह कर पाना मुश्किल है।’ नांबियार का कहना है, ‘पुणे केन्द्र में कर्मियों की संख्या कुछ 50 से 100 होगी।’