जिंदल स्टील ऐंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) को आखिरकार भारतीय रेल के रूप में भविष्य में खरीदार की उम्मीद हो गई है।
दरअसल कंपनी अपने रायगढ़ संयंत्र में पिछले पांच वर्षों से रेल स्टील का उत्पादन कर रही है। कंपनी के कार्यकारी निदेशक ए के मुखर्जी का कहना है,’ लखनऊ की रिसर्च डिजाइन ऐंड स्टैंडड्र्स ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने हाल ही में जेएसपीएल की रेल उत्पाद को अपनी मंजूरी दे दी है और उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वह (रेल) गुणवत्ता के विभिन्न विनिर्देशों पर खरा उतरता है।’
पहले चरण में रेलवे ने यार्ड और छोटी पटरी के लिए रेल पटरी की अनुमति मिली है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी सलाहकार कंपनी राइट्स लिमिटेड को कहा है कि वह जेएसपीएल से कभी भी रेल पटरी ले सकती है। मुखर्जी का कहना है कि दूसरे चरण में रेलवे पटरियों के लिए ऑर्डर दे सकती है। पिछले पांच वर्षों से जेएसपीएल भारतीय रेल, जो देश में सबसे अधिक इस्पात की खपत करती है, को अपनी पटरियों के लिए खरीदार बनाने की संभावनाएं तलाश रही थी।
रेलवे बोर्ड ने पहले कंपनी के उत्पाद को तकनीकी कारणों की वजह से नकार दिया था। दरअसल पटरियों में हाइड्रोजन की मात्रा को कम नहीं किया जा सकता था, जिसकी वजह से घातु में दरारें पड़ने की आशंकाएं थी और उसकी वजह से दुर्घटना का जोखिम काफी बढ़ जाता।
फिलहाल स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की प्रमुख कंपनी भिलाई स्टील प्लांट भारतीय रेल को पटरियों की सप्लाई करता है। जेएसपीएल ने इस्पात पिघलाने वाली कार्यशाला में दिसंबर 2007 को आरएच डीगैसर पूरा किया और उसके बाद आरडीएसओ से मंजूरी मांगी। संस्थान के सामने कंपनी के प्रस्तुतिकरण के बाद, आरडीएसओ ने मानकों को हाल ही में अपनी मंजूरी दी है।
जेएसपीएल की क्षमता 120 मीटर रेल की पटरी बनाने की है, जो देश में सबसे लंबी रेल पटरी का उत्पादन है। कंपनी ने 2003 में जेएफई इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (पूर्व एनकेके कॉर्पोरेशन) के साथ मिलकर उत्पादन शुरू किया था। कंपनी अधिकारियों का कहना है कि जेएसपीएल की पटरियां पहले से ही घरेलू बाजार में रिलायंस, भेल, टिस्को और मेट्रो रेल्स के साथ इस्तेमाल की जा रही हैं।