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सीमा शुल्क विभाग द्वारा चीन के माल को रोकने से उद्योग जगत नाराज

Last Updated- December 15, 2022 | 8:01 AM IST

देश भर के बंदरगाहों पर चीन के सामान को रोके जाने की खबरों के मसले को गंभीरता से लेते हुए घरेलू और वैश्विक उद्योग संगठनों ने सरकार के अधिकारियों को पत्र लिखा है और इस कदम को लेकर विरोध जताया है।
भारत में विनिर्माण करने वाली वैश्विक कंपनियों का कहना है कि इस कदम से उनकी आपूर्ति शृंखला पर असर पड़ेगा और उन्हें उत्पादन रोकने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं, इलेक्ट्रॉनिक्स और पीसी विनिर्माताओं और दूरसंचार उपकरण के कारोबारियों सहित कई अन्य उद्योग इस कदम से प्रभावित हुए हैं क्योंकि वे कंपोनेंट से लेकर तैयार उत्पादों तक चीन से आयात पर निर्भर हैं।
डीपीआईआईसी सचिव गुरुप्रसाद महापात्र और राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय को लिखे पत्रों में भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी मंच ने कहा है कि आयात पर अचानक रोक से ज्यादातर उत्पादों की आपूर्ति शृंखला पर बुरा असर पड़ेगा और आखिरकार इससे भारत के विनिर्माण पर बुरा असर पड़ेगा। यूएसआईएसपीएफ ने पत्र में कहा है कि इससे विदेशी निवेशकों के पास खराब संकेत जाएंगे, जो पूर्वानुमान व पारदर्शिता चाहते हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस पत्र को देखा है।
यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष और मुख्य कार्याधिकारी मुकेश अघी ने लिखा है, ‘हम विनिर्माण क्षमता बढ़ाने की भारत की महत्त्वाकांक्षा का समर्थन करते हैं, वहीं हम पड़ोसी देशों से वस्तुओं के आयात पर अप्रत्याशित रोक लगाए जाने से पडऩे वाले बुरे असर को लेकर भी हम चिंतित हैं, जिनके साथ हमारे विनिर्माण की आपूर्ति शृंखला जुड़ी हुई है।’ हालांकि इसके लिए औपचारिक आदेश जारी नहीं किए गए हैं, लेकिन यूएसआईएसपीएफ की सदस्य कंपनियों ने सूचित किया है कि सीमा शुल्क अधिकारियों ने चीन व अन्य केंद्रों से आने वाली खेप की मंजूरी को बड़े बंदरगाहों व हवाईअड्डों पर रोक रखा है।
एक प्रमुख विनिर्माता कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह कदम जहां चीन से आयात को लेकर लक्षित है, यूरोप व अमेरिका से माल मंगाने वाली कंपनियां भी प्रभावित हुई हैं। इस तरह के माल का 100 प्रतिशत भौतिक सत्यापन कराने के लिए 30 गुना ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत होगी और कोविड-19 के दौर में यह हास्यास्पद है। अगर ऐसा चलता रहा तो हम भारत में माल मंगाना रोक देंगे।’
सूचना और संचार तकनीक (आईसीटी) फर्मों के बड़े उद्योग संगठन एमएआईटी ने भी इसी तरह के लिखे गए एक पत्र में कहा है कि लॉकडाउन के बाद मांग पूरी करने के लिए कंपनियों द्वारा काम शुरू करने की स्थिति में ऐसी हालत में उत्पादन तेज करना मुश्किल होगा। इसमें कहा गया है कि आयात पर किसी तरह का प्रतिबंध फर्मों को नुकसान पहुंचा सकता है, जो पहले से ही संघर्ष के दौर से गुजर रही हैं।
एमएआईटी ने यह भी कहा है कि हर इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण अर्थव्यवस्था चीन पर निर्भर है। उद्योग संगठन ने कहा है, ‘ऐसी स्थिति में कम अवधि के हिसाब से उनके पास कोई वैकल्पिक समाधान नहीं होगा, जिससे वे कच्चा माल हासिल कर सकें।’
सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीओएआई) ने राजस्व सचिव को लिखे एक पत्र में कहा है कि सभी प्रमुख हवाईअड्डों पर कंपनियों को अनौपचारिक व मौखिक रूप से कहा गया है कि चीन से आने वाली खेपों की जांच के लिए नई प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
सीओएआई ने कहा है कि जिन वाणिज्यिक वस्तुओं को पहले ही सीमा शुल्क संबंधी मंजूरी मिल गई है और उन्हें ट्रकों पर लाद दिया गया है, उन्हें जांच के लिए वापस बुलाया जा रहा है और इसकी वजह से माल के खराब होने, नष्ट हो जाने और यहां तक कि चोरी हो जाने का भी खतरा है। इस नुकसान का खामियाजा उद्योग को भरना होगा और सरकार को इससे वस्तु एवं सेवा कर और बुनियादी सीमा शुल्क का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सीओएआई ने सुझाव दिया है कि सरकार को अथरॉइज्ड इकनॉमिक ऑपरेटर (एईओ) कार्यक्रम के तहत वस्तुओं की सुगमता से आवाजाही की अनुमति देना चाहिए जिसके बगैर देशों द्वारा हासिल ‘विश्वसनीय साझेदार’ का तमगा अर्थहीन हो जाएगा।
महामारी की वजह से इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल उद्योग के 40,000 करोड़ रुपये के पहले ही हो चुके नुकसान का हवाला देते हुए एमएआईटी ने चेतावनी दी है कि इस कदम से न सिर्फ ग्राहकों की असंतुष्टि बढ़ेगी बल्कि दूरसंचार संबंधी बुनियादी ढांचे का निर्माण भी रुक जाएगा।
इस समय मंत्रालय चीन से आयातित सामान पर शुल्क नहीं बढ़ाना चाहता है, जिससे भारत में विनिर्माण प्रभावित न हो। बहरहाल सरकार द्वारा एक आकस्मिक योजना बनाई जा रही है, जिससे चीन से आने वाले प्रमुख 100 आयातों पर शुल्क बढ़ाने की वकालत होगी।
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि शुल्क बढ़ाने के लिए शोध की जरूरत है कि क्या आयातक उस वस्तु को अन्य देशों से मंगा सकते हैं। नकदी प्रमुख चिंता का विषय है, इस पर विचार करते हुए ज्यादा शुल्क लगाने से आयातकों पर कीमतों का झटका लगेगा। एक अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 के संकट की वजह से कम से कम जुलाई तक शुल्क संबंधी बाधा लगाने पर कोई फैसला टाल दिया गया है।
भारत के लिए चीन आयात का सबसे बड़ा स्रोत है, जहां से इस साल फरवरी तक 62.37 अरब डॉलर का आयात हुआ है।

First Published - June 25, 2020 | 11:49 PM IST

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