दूरसंचार विभाग (डीओटी) 2021 में स्पेक्ट्रम की दो नीलामी पर विचार कर रहा है। इसकी शुरुआत 4जी एयरवेव्स लाइसेंस की बिक्री से होगी, जिसकी अवधि अगले साल खत्म होने वाली है। डीओटी की आंतरिक चर्चा के मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि 2021 आखिर तक 5जी स्पेक्ट्रम की भी निविदा जारी की जा सकती है, जिसे अभी प्रक्रिया से बाहर रखा गया था।
इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी कराने को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं है क्योंकि इसके लिए माहौल अभी नहीं है और कंपनियां इसमें धन नहीं लगाना चाह रही हैं। लेकिन एक साल में स्थिति सुधर सकती है और उसके बाद अगले साल के आखिर तक स्थिति ऐसी हो सकती है कि हम संभवत: 5जी स्पेक्ट्रम की पेशकश करने की स्थिति में रहें।’
कुछ दूरसंचार कंपनियों के 4जी स्पेक्ट्रम का लाइसेंस अगले साल खत्म हो रहा है। ऐसे में सरकार नीलामी का आयोजन करेगी, जिससे कि कंपनियां स्पेक्ट्रम खरीद सकें।
उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘जहां तक 5जी एयरवेव्स की बात है, दो नीलामी अलग अलग करने से सरकार के लिए नीलामी की प्रक्रिया आसान रहेगी।’
2019 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सत्ता में आने के बाद 5जी नीलामी की प्रक्रिया अगस्त 2019 में शुरू की गई थी। उस समय केंद्र सरकार ने 5जी बैंड सहित सभी स्पेक्ट्रम बैंड की नीलामी आयोजित कराने वाली एजेंसी के चयन के लिए बोली आमंत्रित की थी। मई 2020 में एमएसटीसी को नीलामी कराने वाली एजेंसी चुना गया था। नीलामी कराने वाली कंपनी की जिम्मेदारी स्पेक्ट्रम की ई-नीलामी के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करना और डिजाइन तैयार करने की होगी। सितंबर 2014 मेे उच्चतम न्यायालय ने कोयला खदानों का आवंटन रद्द कर दिया था, उसके बाद सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ने 2015 में कोयले की नीलामी कराई थी। सरकार ने 2017-18 और 2018-19 में स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं की। प्रस्तावित नीलामी देश की सबसे बड़ी नीलामी होने की उम्मीद है क्योंकि सरकार ने 5.7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा आधार मूल्य पर 8,093 मेगाहट्र्ज एयवेव्ज की पेशकश करने की योजना बनाई है।
आखिरी बार स्पेक्ट्रम की नीलामी अक्टूबर 2016 में हुई थी, जिसमें पेशकश किए गए स्पेक्ट्रम का सिर्फ 40 प्रतिशत ही बिक पाया था। उस नीलामी में सरकार ने सिर्फ 965 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम की बिक्री से 65,789 करोड़ रुपये जुटाए थे।