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दीर्घावधि बढ़त परिदृश्य को लेकर पीवीआर पर तेजी का नजरिया

Last Updated- December 12, 2022 | 4:02 AM IST

मल्टीप्लेक्स इंडस्ट्री पर कोविड-19 महामारी का भारी असर पड़ा है क्योंंकि आम लोगों का बाहर निकलना बंद हो गया और मनोरंजन पूरी तरह से ओटीटी प्लेटफॉर्म के पास पहुंच गया। देश की सबसे बड़ी सिनेमा कंपनी को हालांकि देसी व विदेशी विदेशकों से मजबूत समर्थन मिला है। कंपनी के शेयरधारिता पैटर्न पर नजर डालने से पता चलता है कि विदेशी संस्थागत निवेशक सितंबर तिमाही (2020-21) कंपनी में हिस्सेदारी बढ़ा रहे थे, जब महामारी से संबंधित पाबंदियां भारत में  नरम हो रही थीं। दूसरी तिमाही के आखिर की 34.6 फीसदी हिस्सेदारी को एफआईआई ने वित्त वर्ष 21 की चौथी तिमाही में बढ़ाकर 42.6 फीसदी पर पहुंचा दिया। सालाना आधार पर भी वित्त वर्ष 20 की चौथी तिमाही के आखिर में रही 38.55 फीसदी हिस्सेदारी के मुकाबले भी हिस्सेदारी बढ़ी है।
ऐसे में यह भरोसा क्या बताता है? विश्लेषकों का मानना है कि एफआईआई अल्पावधि की परेशानी से आगे देख रहे हैं और पीवीआर की दीर्घावधि की बढ़त को लेकर आश्वस्त हैं।
प्रभुदास लीलाधर के शोध विश्लेषक जिनेश जोशी ने कहा, अहम मल्टीप्लेक्स कंपनियों की ढांचागत बढ़त की कहानी मजबूत बनी हुई है और जब कोविड महामारी खत्म होगी तो ये कंपनियां पहले के मुकाबले ज्यादा मजबूती के साथ उभरेंगी। सूचीबद्ध कंपनी होने के नाते रकम जुटाना आसान होगा।
हाल में कंपनी ने गैर-परिवर्तनीय ऋणपत्र के जरिये 500 करोड़ रुपये तक जुटाने की योजना की घोषणा की है। इससे पहले वित्त वर्ष 21 की चौथी तिमाही में कंपनी ने क्यूआईपी के जरिये 800 करोड़ रुपये जुटाए थे। सिंगल स्क्रीन कंपनियोंं के मुकाबले यह बिल्कुल उलट है, जो संघर्ष कर रही हैं।
कोटक इंस्टिट््यूशनल इक्विटीज के शोध विश्लेषक जयकुमार दोशी ने कहा, आने वाले समय में सिंगल स्क्रीन बंद होने की रफ्तार बढ़ सकती है और अन्य सिनेमा ऑपरेटरों के मुकाबले पीवीआर मजबूती से उभर सकती है। साथ ही दूसरी लहर के खात्मे, टीकाकरण की रफ्तार बढऩे और सिनेमा का परिचालन बहाल होने के साथ वह बढ़ी मांग को पूंजीकृत करने के लिहाज से भी बेहतर स्थिति में रह सकती है।
एमके ग्लोबल के शोध विश्लेषकों नवल सेठ और सोनाली शाह ने कहा, नए फंड के अलावा लागत नियंत्रण, किराए में छूट और वितरकों के साथ राजस्व साझेदारी करार उसका अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए अहम होगा।
हालांकि अल्पावधि के अवरोध को देखते हुए ज्यादातर विश्लेषकों ने वित्त वर्ष 22 व वित्त वर्ष 23 के लिए आय अनुमान में कटौती की है और इसमें इस वित्त वर्ष के न्यूनतम राजस्व को समाहित किया है।
उदाहरण के लिए आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और एमके ग्लोबल ने वित्त वर्ष 22 व वित्त वर्ष 23 के लिए एबिटा अनुमान भारी कटौती की है। प्रभुदास लीलाधर ने ने वित्त वर्ष 22 का एबिटा अनुमान 43 फीसदी घटाया है जबकि वित्त वर्ष 23 का अनुमान बरकरार रखा है। पीवीआर का शेयर सुदृढ़ रहा है और इस साल अब तक के आधार पर 0.3 फीसदी ऊपर है। इसकी तुलना में बेंचमार्क एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स बुधवार तक 8.5 फीसदी चढ़ा है।

First Published - June 3, 2021 | 11:40 PM IST

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