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चिप संकट बने रहने के आसार

Last Updated- December 11, 2022 | 8:54 PM IST

रूस और यूक्रेन के बीच जारी भूराजनीतिक संघर्ष का एक और असर देखने को मिल सकता है और वह है सेमीकंडक्टर चिप। पैलेडेयिम और नियॉन दो अहम संसाधन हैं, जिसका इस्तेमाल सेमीकंडक्टर चिप के उत्पादन में होता है।
मूडीज एनालिटिक्स के टिम यूवाई ने हालिया रिपोर्ट मेंं कहा है, चूंकि रूस दुनिया भर में आपूर्ति होने वाले पैलेडियम का 40 फीसदी से ज्यादा देता है और यूक्रेन वैश्विक नियॉन आपूर्ति का 70 फीसदी उत्पादित करता है, लिहाजा वैश्विक स्तर पर
चिप की किल्लत और गहरा सकती है।
मूडीज एनालिटिक्स ने कहा, यूक्रेन के 2014-15 के युद्ध के दौरान नियॉन की कीमत कई गुना बढ़ गई थी, जो संकेत देता है कि यह सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए कितना गंभीर मामला है। सेमीकंडक्टर कंपनियों के पास कुल नियॉन मांग का 70 फीसदी जाता है क्योंंकि यह चिप बनाने की लिथियोग्राफिक प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा है।
मूडीज एनालिटिक्स का मानना है कि ज्यादा विपरीत असर यूरोप के उन देशों पर पड़ेगा, जो रूस से तेल व प्राकृतिक गैस हासिल करते हैं और उनके अनुमान के मुताबिक, वहां दुनिया की वैश्विक तेल आपूर्ति का 12 फीसदी व प्राकृतिक गैस का 17 फीसदी है। साथ ही वह पैलेडियम और गेहूं का अहम आपूर्ति करने वाला देश है और यूक्रेन दुनिया का नियॉन आपूर्ति करने वाला अहम देश है।
कोविड महामारी के दौरान वैश्विक चिप किल्लत सुर्खियों में आ गई थी क्योंंकि आवाजाही आदि पर पाबंदी आदि से दुनिया भर में डिजिटलीकरण तेज हुआ। आगामी महीनों में अगर मामला नहीं थमता है तो मूडीज एनालिटिक्स को लगता है कि चिप किल्लत और गहराएगी और इस पर ज्यादा निर्भर कंपनियां प्रभावित होंगी। इसका मतलब यह है कि कई वाहन निर्माताओं, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माताओंं, फोन बनाने वालों व इस पर आश्रित अन्य क्षेत्रों के लिए काफी मुश्किल होगी।
देश के वाहन निर्माताओं के लिए यह दोहरी मार है, जो धातु की बढ़ती कीमतोंं और सेमीकंडक्टर की संभावित किल्लत का सामना कर सकते हैं।

First Published - March 5, 2022 | 10:14 PM IST

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