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सबका जोर 700 बैंड स्पेक्ट्रम पर

Last Updated- December 11, 2022 | 5:14 PM IST

देश में 5जी सेवाओं के कुशल परिचालन के लिए 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम को काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। समझा जाता है कि देश भर में इस बैंड में 10 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम हासिल करते हुए रिलायंस जियो 5जी सेवाओं के परिचालन में प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले काफी मजबूत स्थिति हासिल कर लेगी।
हालांकि काफी अधिक आधार मूल्य होने के कारण पिछली दो स्पेक्ट्रम नीलामियों के दौरान इसकी बिक्री नहीं हुई थी। आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी के दौरान इसके आधार मूल्य में पहले के मुकाबले करीब 40 फीसदी की कटौती की गई है। संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम से देश में दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी लाने में काफी मदद मिलेगी।
वैश्विक स्तर पर आमराय यह है कि 5जी सेवाओं के कुशल परिचालन में 700 मेगाहर्ट्ज बैंड की काफी अहम भूमिका होगी खासकर जियो जैसी कंपनियों के लिए जो कहीं अधिक उन्नत 5जी नेटवर्क (जहां प्रमुख और रेडियो दोनों नेटवर्क 5जी समर्थ होंगे) स्थापित करना चाहती है। यही कारण है कि यूरोपीय संघ ने 5जी के लिए 3.5 गीगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज को प्रमुख बैंड करार दिया है। भारत में भी इन बैंडों की नीलामी हुई थी। कारण स्पष्ट है कि मिलीमीटर बैंड (26 गीगाहर्ट्ज) जैसे उच्च फ्रीक्वेंसी वाले बैंड से आपको जबरदस्त बैंडविड्थ मिलता है और इसलिए उसकी स्पीड अधिक होती है लेकिन कवरेज कम। जबकि मध्यम बैंड (3.5 गीगाहर्ट्ज) 4जी के मुकाबले कीं अधिक स्पीड उपलब्ध करा सकता है लेकिन इसका कवरेज भी सीमित होगा। ऐसे में प्रभावी सेवा के लिए आपको कहीं अधिक टावर स्थापित करने की आवश्यकता होगी।
हालांकि 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के साथ कवरेज की समस्या खत्म हो जाएगी क्योंकि यह 100 किलोमीटर की परिधि में कवरेज प्रदान करेगा जबकि मध्यम बैंड के तहत 1 से 3 किलोमीटर की परिधि में ही कवरेज मिल पाता है। ऐसे में 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए कम टावर स्थापित करने की आवश्यकता होगी जिससे लागत में बचत होगी। इसके अलावा यह घरों के भीतर भी आसानी से पहुंच जाएगा और इसके लिए दीवार कोई बाधा नहीं होगी। यह इंटरनेट ऑफ थिंग्स और यहां तक कि ऑटोनोमस कार यानी चलती कार में कवरेज के लिए भी उपयुक्त होगा। जर्मनी जैसे कई देश कुछ ही टावर के जरिये दूरदराज के ग्रामीण इलाकों तक 5जी सेवाओं का व्यापक कवरेज सुनिश्चित किया है।
आलोचकों का कहना है कि निचले बैंड में ऐसे काफी विकल्प हैं जहां नेटवर्क में निवेश पहले ही किया जा चुका है जैसे 800 बैंड। इसलिए 5जी कवरेज के लिए यह कहीं अधिक उपयुक्त और सस्ता एवं प्रभावी विकल्प होगा। लेकिन कुछ दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि भारत में 2जी एवं 3जी सेवाओं के लिए मौजूदा दूरसंचार कंपनियां 900 बैंड के स्पेक्ट्रम का उपयोग पहले से ही कर रही हैं। विश्लेषकों का कहना है कि जियो 4जी के लिए आधे से अधिक 800 बैंड का उपयोग कर रही है।
वैश्विक स्तर पर भी 5जी सेवाओं के लिए 700 बैंड की लोकप्रियता बढ़ रही है। ऐसे में दूरसंचार उपकरण के लिए बाजार में अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे जिससे कीमतों में नरमी आएगी।

First Published - July 28, 2022 | 1:13 AM IST

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