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वैश्विक तेल कंपनियों की भारतीय तेल कुओं में दिलचस्पी नहीं

Last Updated- December 05, 2022 | 11:04 PM IST

वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों के आसमान छूते भाव के कारण तेल कंपनियां नए श्रोतों की तलाश में लगी हैं, लेकिन भारत में तेल अन्वेषण के क्षेत्र में वे रुचि नहीं ले रही हैं।


वैश्विक कंपनियों का भारतीय क्षेत्र में तेल अन्वेषण में कोई झुकाव नहीं नजर आ रहा है।समुद्र पार की बड़ी कंपनियों का तेल ब्लॉकों की नीलामी की ओर कोई झुकाव नहीं है। इसका एक कारण है कि वित्त मंत्रालय ने अभी तक तेल और गैस उत्पादन पर मिलने वाले कर छूट के बारे में अपनी रणनीति स्पष्ट नहीं किया है।


इसके साथ एक सच्चाई यह भी है कि 57 तेल और गैस ब्लॉक्स में से 39 रिसाइकिल्ड ब्लॉक्स हैं। उद्योग जगत में यह चर्चा जोरों पर है कि इसके पहले राउंड की बोली में कोई बोली लगाने नहीं आया। कुछ कंपनियों ने इसके प्रति थोड़ा उत्साह भी दिखाया तो बोली लगाने के लिए उन्हें आंकड़े ही नहीं मिले।


एक वैश्विक तेल कंपनी के आला अधिकारी ने कहा कि रॉयल डच शेल और यूएस की कंपनियों जैसे बड़े कारोबारी भारत की बजाय ब्राजील, नाइजीरिया और खाड़ी देशों में अन्वेषण और उत्खनन में निवेश करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इन क्षेत्रों को वे ज्यादा लाभकारी मानते हैं। मंत्रालय के एक आला अधिकारी का कहना है कि विदेश की बड़ी उत्खनन कंपनियां उन्हीं इलाकों में अपने ड्रिलिंग रिग्स और मानव संसाधन लगाना चाहती हैं, जहां आसानी से और कम गहराई में तेल और गैस मिल जाता है।


गहरे जल की चुनौतियां


एक चुनौती यह भी है कि जिन इलाकों में तेल और गैस के ब्लाक्स के लिए बोली लगनी है वहां गहराई पर कच्चा माल मिलेगा। ऐसी हालत में अन्वेषण और उत्खनन का काम चुनौतीपूर्ण होगा। वैश्विक तेल कंपनियों के भारत में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय ने भारतीय तेल कंपनियों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे ऐसी कंपनियों को साझेदार के रूप में ढूंढें, जिन्हें गहराई से तेल और गैस निकालने का अनुभव हो।


इस पहल का कोई खास असर नहीं नजर आ रहा है। पिछले छह नेल्प दौर की ही तरह ही स्थिति बनी हुई है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि पिछले अनुभवों की ही तरह इस बार भी हालत नजर आ रही है। गहरे पानी में तेल खोज के मामले में वैश्विक कंपनियां कोई रुचि नहीं दिखा रही हैं।


तेल मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि ऑयल ऐंड नेचुरल गैस कार्पोरेशन (ओएनजीसी) और रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) अभी तक किसी वैश्विक साझेदारी में सफल नहीं हुए हैं। उन्हें नेल्प-6 की बोली में गहरे पानी से तेल व गैस निकालने के लिए 19 ब्लॉक्स मिले थे।


नेल्प-6 के दौर में आरआईएल और ओएनजीसी ने बोली में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था, लेकिन सातवें दौर की बोली में वे भी कोई खास रुचि नहीं दिखा रहे हैं। रिलायंस के एक अधिकारी ने कहा,  ‘यहां ढेरों कठिनाइयां हैं। केजी बेसिन में हमने यह सिध्द कर दिया है कि गहरे पानी में उत्खनन का काम हम आसानी से कर सकते हैं। हमने अपना काम करीब पूरा कर लिया है।’


उम्मीद की जा रही है कि इस साल केबाद आरआईएल गहरे पानी से उत्खनन का काम शुरू कर देगी। भारत की बड़ी तेल कंपनियों की सुस्ती का एक कारण यह भी है कि नेल्प-7 के तहत प्रस्तावित बोली की तिथि  25 अप्रैल से बढ़ाकर 16 मई कर दी गई है। सरकार को उम्मीद है कि नेल्प-7 की बोली से 3-3.5 अरब डॉलर का निवेश होगा।


कर को लेकर भ्रम


वैश्विक तेल कंपनियों का नेल्प-7 से बेरुखी का एक कारण और भी है। अन्वेषण और उत्खनन पर करों में छूट दिए जाने के बारे में सरकार अब तक कोई निर्णय नहीं ले सकी है। 28 फरवरी को पेश बजट घोषणाओं पर गौर करें तो कर छूट को वापस लिया जा सकता है।


अपने सभी रोड शो के दौरान पेट्रोलियम मंत्रालय ने 7 साल के कर छूट दिए जाने का वादा किया था। वहीं वित्त मंत्रालय ने 2008-09 के बजट में कर छूट को खत्म किए जाने का प्रावधान कर दिया। वहीं मौखिक रूप से यह आश्वासन दिया जा रहा है कि कर छूट जारी रहेगा, इसे हटाए जाने के बारे में सोचना सही नहीं है। इस तरह से इस मुद्दे पर ढेरों आशंकाएं बनी हुई हैं। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘जब तक करों को लेकर संशय बना रहेगा, विदेशी कंपनियां दूर ही रहेंगी।’

First Published - April 23, 2008 | 10:40 PM IST

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