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आईआईएम और आईआईटी लीज पर लेंगे फ्लैट

Last Updated- December 10, 2022 | 11:21 PM IST

अपने परिसरों में छात्रों की अच्छी खासी तादाद को ध्यान में रख कर प्रमुख प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान -भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) – अपने कैम्पस से बाहर संपत्तियों को किराए पर ले रहे हैं।
इस शैक्षिक वर्ष कोटा की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के प्रयास के तहत ये संस्थान यह कदम उठा रहे हैं। आईआईएम-कलकत्ता (आईआईएम-सी) ने अपने कैम्पस से बाहर लगभग 10 फ्लैटों की खरीद पर कई करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
संस्थान ने एक्जीक्यूटिव एजूकेशन प्रोग्राम के प्रतिभागियों को ठहराने के लिए इन फ्लैटों पर ध्यान केंद्रित किया है। आईआईएम-सी के प्रोफेसर सैबाल चट्टोपाध्याय ने कहा, ‘हम कैम्पस में प्रमुख प्रबंधन पाठयक्रम के छात्रों को जगह मुहैया कराए जाने को तरजीह दे रहे हैं, क्योंकि इन छात्रों को तैयारी के लिए लंबे अध्ययन की जरूरत होगी। अन्य पाठयक्रमों के छात्रों को कैम्पस से बाहर ठहराया जा सकता है।’
आईआईएम-सी का कहना है कि वह लगभग 6 से 9 महीने के लिए कई कमरे वाले फ्लैट लीज पर मुहैया कराने के लिए डेवलपरों से बातचीत कर रहा है। संस्थान इस साल लगभग 90 अतिरिक्त छात्रों को ठहरने की सुविधा मुहैया कराएगा। इसके साथ ही इसके कुल छात्रों की संख्या पिछले साल के 318 से बढ़ कर 408 हो जाएगी।
आईआईएम-बेंगलुरु ने अजमेरा कॉम्पलेक्स नामक आवासीय इमारत के पास 50 अपार्टमेंट (150 कमरे) लीज पर लेने का फैसला किया है। संस्थान ने अप्रैल में शुरू होने वाले फुल टाइम एक्जीक्यूटिव पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम के छात्रों को लीज वाले अपार्टमेंटों में ठहराने की योजना बनाई है।
आईआईएम-बेंगलुरु के निदेशक पंकज चंद्रा कहते हैं, ‘संस्थान को ओबीसी कोटा के विस्तार के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय से 29 करोड़ रुपये मिले हैं, लेकिन नए फैकल्टी और छात्रों को आवास सुविधा मुहैया कराए जाने का कुल खर्च इससे काफी अधिक होने की संभावना है।’
अपनी ताजा रिपोर्ट में मारुति सुजुकी इंडिया के अध्यक्ष आरसी भार्गव के नेतृत्व वाली आईआईएम रिव्यू कमेटी ने यह सुझाव दिया है कि आईआईएम फैकल्टी और प्रशासनिक स्टाफ के निवास स्थान को कैम्पस से बाहर स्थानांतरित किया जा सकता है और आवासों को खरीदा या किराए पर लिया जा सकता है ताकि मौजूदा ढांचे का और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जा सके।
फिलहाल आईआईएम ने चार श्रेणियों – ओबीसी (27 फीसदी), एससी (15 फीसदी), एसटी (7.5 फीसदी) और विकलांग (3 फीसदी)- में कोटा को लागू किया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर (आईआईटी-के) भी उपयुक्त सौदों की तलाश में लगा हुआ है।
आईआईटी-के के निदेशक एस जी डांडे ने कहा, ‘संपत्तियों को किराए पर लेने के लिए हम ब्रोकरों से बातचीत कर रहे हैं ताकि हम अपने कुछ छात्रों को कैम्पस से बाहर आवास में स्थानांतरित कर सकें।’ संस्थान इस साल और 120 सीटों को जोड़ कर अपनी सीट क्षमता दोगुनी कर रहा है।
दूसरी तरफ आईआईटी-दिल्ली अपने कैम्पस के अंदर ही विस्तार करने की योजना बना रहा है। संस्थान अपनी योजनाओं पर आगे बढ़ने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) से 100 करोड़ रुपये का अनुदान हासिल करने की प्रतीक्षा कर रहा है।
आईआइटी-दिल्ली के निदेशक सुरेन्द्र प्रसाद ने बताया, ‘हम परिसर के अंदर ही विस्तार को अंजाम देंगे, क्योंकि कैम्पस के नजदीक मुश्किल से ही कोई संपत्ति किराए पर उपलब्ध है। हम अपनी योजनाओं को अंतिम रूप देने के लिए एमएचआरडी के अनुदान का इंतजार कर रहे हैं।’
आईआईटी-दिल्ली पिछले साल के 11 फीसदी की तुलना में इस बार सीटों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़ाने के लिए तैयार है। संस्थान अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट पाठयक्रम में छात्रों की कुल संख्या 1250 से बढ़ा कर 1400 करने जा रहा है। आईआईएम-अहमदाबाद (आईआईएम-ए) कैम्पस में अपने नए छात्रों को ठहराने के लिए अपने प्रबंधन विकास केंद्रों (एमडीसी) और फैकल्टी हाउस के इस्तेमाल की योजना बना रहा है।
आईआईएम-ए के निदेशक समीर बरुआ ने बताया, ‘हमारे एमडीसी में 234 कमरे हैं जिनमें से 64 कमरे डबल सीटर माने जा सकते हैं, लेकिन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दौरान इनका सिंगल सीटर के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। हमारे पास 170 ऑड सिंगल सीटर कमरे भी हैं। इसके अलावा कैम्पस में हमारे पास कुछ फैकल्टी हाउस और अन्य संपत्तियां हैं जिनका अंतरिम अवधि में इस्तेमाल किया जा सकेगा।’
बरुआ ने बताया कि संस्थान ने सरकार से 54 करोड़ रुपये की मांग की थी जिसमें से सरकार ने महज 34 करोड़ रुपये देने पर ही सहमति जताई और इसमें से अभी तक सिर्फ 2 करोड़ रुपये की रकम ही आईआईएम-ए को प्राप्त हुई है।

First Published - April 6, 2009 | 12:55 PM IST

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