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फल-फूल रहे वेल्डिंग क्षेत्र पर आईआईडब्ल्यू की नजर

Last Updated- December 10, 2022 | 1:06 AM IST

तेजी से बढ़ रहे वेल्डिंग क्षेत्र में कुशल श्रम के अभाव को ध्यान में रखते हुए इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ वेल्डिंग (आईआईडब्ल्यू) इस साल जुलाई से भारत में 33 केंद्रों पर हर साल कम से कम 1000 छात्रों को प्रशिक्षित करने की योजना बना रहा है।
पेशेवरों के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सहायता उपलब्ध कराने के लिए आईआईडब्ल्यू उड़ीसा और कोलकाता में दो प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की योजना बना रहा है।
 
ये केंद्र अल्पावधि और दीर्घावधि दोनों तरह के पाठयक्रमों के लिए राष्ट्रव्यापी परीक्षाएं आयोजित करेंगे। इन केंद्रों का सर्टिफिकेट इंटरनैशनल इंस्टीटयूट ऑफ वेल्डिंग, फ्रांस से संबद्ध बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) के बराबर होगा।
ढांचागत विकास पर बढ़ रहे निवेश के लिहाज से यह पहल बेहद अहम है। सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान ढांचागत विकास के लिए 320,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। यदि इस योजना को कार्यान्वित किया जाता है तो 70 लाख टन इस्पात और लगभग 28,000 टन वेल्डिंग मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाएगा।
आईआईडब्ल्यू के अध्यक्ष सी सी गिरोत्रा ने कहा, ‘आईआईडब्ल्यू में प्रशिक्षित तकनीशियन सिर्फ भारत में रोजगार तलाश सकते हैं बल्कि विदेशों में भी अवसर पा सकते हैं, क्योंकि वेल्डिंग इंजीनियर की हर जगह जरूरत है।’
संस्थान अब तक इंटरनैशनल इंस्टीटयूट ऑफ वेल्डिंग के तत्वावधान में 145 इंजीनियरों को प्रशिक्षित कर चुका है जो लार्सन ऐंड टुब्रो समेत देश की प्रमुख इंजीनियरिंग कंपनियों में काम कर रहे हैं। जहां कुछ स्नातक विदेशों में कैरियर तलाशने में सफल रहे हैं वहीं कई इंजीनियर अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू कर चुके हैं।
4 से 6 सप्ताह की अवधि के पाठयक्रम का शुल्क 27,000 से 60,000 रुपये प्रति छात्र के बीच है। अहम बात यह है कि इस पाठयक्रम से जुड़े छात्रों को दिग्गज इंजीनियरिंग कंपनियों द्वारा सीधे भर्ती की जा सकेगी।
एक अनुमान के मुताबिक वेल्डिंग मैटेरियल की अनुमानित मांग तेजी से बढ़ रही है और 2020 तक वेल्डिंग के लिए कम से कम लगभग 15 लाख कुशल श्रमिकों की जरूरत होगी।

First Published - February 15, 2009 | 9:49 PM IST

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