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भारत में 6 लाख चिकित्सकों की जरूरत

Last Updated- December 05, 2022 | 7:16 PM IST

योजना आयोग ने सलाह दी है कि चिकित्सा शिक्षा के लिए निजी क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जिससे देश में 6 लाख चिकित्सकों की कमी को पूरा किया जा सके।


योजना आयोग के सदस्य अनवारुल होदा की अध्यक्षता में बनी समिति ने देश में चिकित्सा क्षेत्र की दयनीय दशा का हवाला देते हुए कहा है कि चिकित्सकों, नर्सों और अर्ध चिकित्सकीय (पैरा मेडिकल) कर्मचारियों की कमी, इस क्षेत्र की बुरी दशा के लिए जिम्मेदार है। समिति ने कहा है कि लोक चिकित्सा के क्षेत्र में यह कमी और भी चिंताजनक है।


रिपोर्ट में कहा गया है, ‘लोक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बहुत गिरावट आई है। यह पिछले दो-तीन दशकों से देखा जा रहा है। इसकी प्रमुख वजह मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी, डाइग्नोस्टिक सेवाओं और दवाओं का अभाव है।’


यह रिपोर्ट हाल ही में प्रधानमंत्री को सौंपी गई है। इसमें सुझाव दिया गया है कि चिकित्सा शिक्षा के लिए निजी क्षेत्रों को खोला जाना चाहिए। इससे प्रशिक्षित पेशेवरों और विशेषज्ञों की कमी को पूरा किया जा सकेगा। इसमें अनुशंसा की गई है कि निजी क्षेत्रों को मेडिकल और डेंटल कालेज बनाने के साथ ही नर्सिंग कालेज खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए जिससे हेल्थकेयर क्षेत्र में मानव संसाधन की कमी को पूरा किया जा सके।


इसमें निवेशकों को आकर्षित करने के लिए रिपोर्ट में कहा गया है कि नए संस्थानों को विकसित करने के मानदंडों में परिवर्तन किया जाना चाहिए। इसमें संस्थान बनाने के लिए भूमि सीमा और उस पर निर्माण किए जाने वाले भवन को व्यावहारिक स्तर पर लाए जाने की जरूरत है।


रिपोर्ट में कहा गया है कि 1000 लोगों पर एक चिकित्सक की सीमा को बरकरार रखने के लिए इस समय 6 लाख चिकित्सकों की तत्काल जरूरत है। इसी तरह से भारत में डेंटल सर्जन की संख्या 2007 में 73,271 है, जबकि 2,82,130 की जरूरत है। इसी तरह जनसंख्या के मुताबिक 2007 में 2,188,890 नर्सों की जरूरत है, जबकि वर्तमान में कुल 1,156,372 नर्सें ही उपलब्ध हैं।


चिकित्सकों, खासकर विशेषज्ञों की कमी से सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। करीब 59.4 प्रतिशत सर्जन, 45 प्रतिशत प्रसूति विज्ञानी और और स्त्री रोग विशेषज्ञ, 61 प्रतिशत फिजीशियन, 53 प्रतिशत बाल रोग विशेषज्ञों की कमी है। रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न राज्यों में पंजीकृत चिकित्सकों  की संख्या वर्ष 2006 में 6,68,131 है, जिससे चिकित्सकों और आबादी का आंकड़ा 60:1,00,000 आता है।


बहरहाल इस रिपोर्ट में कहा गया है कर्नाटक और केंद्र शासित राज्यों जैसे दिल्ली और गोवा में स्थिति अनुकूल है, लेकिन हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में चिकित्सकों का अभाव है।


रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि एक पैरामेडिकल साइंस संस्थान स्थापित करने के लिए नियामक के रूप में पैरामेडिकल काउंसिल बनाया जाना चाहिए जिससे स्टाफ की कमी को पूरा किया जा सके।  प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी गई रिपोर्ट में सरकार से खाली पदों को भरने की सिफारिश की गई है ताकि सरकारी मेडिकल कालेजों में अध्यापन की गुणवत्ता में सुधार हो सके।

First Published - April 7, 2008 | 10:50 PM IST

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