मोबाइल निर्माताओं ने सरकार को आश्वासन दिया है कि वे 1 जनवरी, 2025 तक नए 5जी मोबाइल फोन में इसरो द्वारा विकसित नेविगेशन सिस्टम ‘नाविक’ की सुविधा लागू करने में सक्षम होंगे। यह इस कार्य के लिए सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा है।
आईसीईए (देश में सक्रिय अधिकांश प्रमुख वैश्विक और स्थानीय मोबाइल ब्रांडों का संघ) के प्रतिनिधि ने इस महीने मोबाइल और चिप निर्माताओं के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, दूरसंचार विभाग और इसरो के शीर्ष अधिकारियों के बीच हुई अपनी बैठक में सरकार को यह आश्वासन दिया। नाविक को लोकप्रिय जीपीएस के विकल्प के रुप में मान्यता दी गई।
मोबाइल फोन में नाविक नेविगेशन प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए समय सीमा को स्थगित करने के दूरसंचार विभाग के अनुरोध पर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि बाद में जल्द ही सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को आवश्यक निर्देशों के साथ एक व्यापक दस्तावेज प्रदान किया जाएगा।
जबकि नाविक प्रणाली को स्मार्टफोन में उपयोग के लिए सक्षम बनाने के लिए इसरो आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। मगर मोबाइल निर्माताओं के बीच राय विभाजित है कि उन्हें मोबाइल फोन पर नाविक को सक्षम करने के लिए अतिरिक्त लागत वहन करनी होगी। कुछ का कहना है कि यह बहुत मामूली होगा तो वहीं दूसरों को उम्मीद है कि इसके लिए अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता होगी।
पृथ्वी की कक्षा में सात सक्रिय उपग्रहों के साथ नेविगेशन उपग्रह प्रणाली पूरे भारत को कवर करती है और इसके चारों ओर 1,500 किलोमीटर आगे तक फैली हुई है। इसका उद्देश्य अमेरिकी जीपीएस प्रणाली की तरह विश्व स्तर पर कवर बढ़ाना है। यह प्रणाली नेविगेशन, समय, मैपिंग, आपदा प्रबंधन और डेटा संकलन सेवाएं प्रदान करती है और यह देश के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है।
जीपीएस के अलावा इस तरह के अन्य नेविगेशन सिस्टम भी हैं जैसे कि यूरोपीय संघ की गैलीलियो, चीन की बाइडो और रूस की ग्लोनास नेविगेशन प्रणाली है।
बैठक में मोबाइल निर्माताओं ने पूछा कि क्या देश में सभी स्मार्टफोन पर जीपीएस जैसे अन्य नेविगेशन सिस्टम को सपोर्ट करने के लिए वर्तमान में इस्तेमाल किए जा रहे एल 1 उपग्रह बैंड पर नाविक को चलाया जा सकता है।