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फंसे मंदी के चैनल में तो कटौती केबल में

Last Updated- December 08, 2022 | 2:48 AM IST

वैश्विक मंदी का असर जब पूरी दुनिया पर पड़ रहा हो तो कंपनियों का अपनी लागत में कमी लाने में जुट जाना स्वाभाविक है।


ऐसे में प्रसारण कारोबार से जुड़ी कंपनियां भी अपनी लागत में कमी लाने की राह पर चल पड़ी हैं। यूटीवी, एनडीटीवी, आईएनएक्स मीडिया, टीवी टुडे, सहारा टीवी और दूसरे चैनल भी मंदी से खुद को बचाने की कवायद में जुटे हुए हैं।

अब ये प्रसारण कंपनियां पूरे देश भर में केबल कंपनियों को कैरेज फीस कम करने या नहीं देने का फैसला कर रही हैं। इसके अलावा अब जाने-माने बड़े मनोरंजन चैनल नए सीरियल या शो को खरीदने के बजाय पुराने सीरियल और टेलीविजन शो का ही दोबारा प्रसारण करने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।

गौरतलब है कि हाल ही में मुंबई में तकनीशियन, प्रोग्राम प्रोडयूसर, और इस उद्योग से जुड़े कर्मचारियों ने अपने वेतन की बढ़ोतरी की मांग की थी। इसी के मद्देनजर अब प्रसारण कंपनियां नए कार्यक्रमों के बजाय पुराने कार्यकमों से ही अपना काम चला रही हैं।

कुछ प्रसारर्णकत्ताओं को केबल कंपनियों को कैरेज फीस का भुगतान कम करने या बंद करने से भी राहत मिल सकेगी। इससे सालाना 200-250 करोड़ रुपये के कैरेज फीस की बचत हो जाएगी जो कई केबल कंपनियों को भुगतान किए जाने वाली सालाना कैरेज फीस का 20 फीसदी है।

सालाना केबल कंपनियों को प्रसारणकर्ताओं के द्वारा लगभग 1,200 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है ताकि उनके चैनल केबल के डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में प्राइम बैंड में स्थान पा सके। अपनी लागत को कम करने के उपायों के तहत कई मनोरंजन चैनल मसलन सहारा, 9एक्स, एनडीटीवी इमेजिन, स्टार प्लस, जीटीवी और दूसरे चैनल भी सीरियलों और दूसरे टीवी शो का दोबारा प्रसारण करने पर मजबूर हो रहे हैं। इसके जरिए वे कार्यक्रमों के प्रसारण में आने वाली लागत में कटौती करने की कवायद कर रहे हैं।

एक मनोरंजन चैनल के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि टीवी शो के दोबारा प्रसारण से चैनलों को काफी राहत मिलेगी। एक वरिष्ठ मीडिया प्लानर का कहना है, ‘टीवी शो के दुबारा प्रसारण से विज्ञापनदाताओं पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला है। दरअसल विज्ञापनदाता किसी शो के  एयरटाइम को नहीं खरीदते हैं। बल्कि विज्ञापन तो चैनलों की टीआरपी के हिसाब से ही दिए जाते हैं।

अगर किसी चैनल की बेहतर रेटिंग और साख है तो फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उस चैनल पर पुराने सीरियलों को प्रसारण हो रहा है या नए सीरियलों का।’ सूत्रों का कहना है कि इस तरह के उपायों से प्रसारणकर्ता रोजाना 3-4 करोड़ रुपये की बचत कर सकते हैं।

स्टार टीवी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘सबसे टॉप तीन या चार टेलीविजन कंपनियों को छोड़कर बाकी सभी कंपनियां अपने चैनल को चलाने और प्रोडयूसर और कर्मचारियों को भुगतान करने में भी काफी कटौती कर रही हैं। प्रोग्रामिंग और वितरण के खर्च में कमी लाने से बहुत असर तो पड़ेगा ही क्योंकि चैनलों की रेटिंग भी काफी बटी हुई है और विज्ञापनदाताओं की मांग और बढ़ रही है।’

केबल इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों की मानें तो कुछ मनोरंजन चैनल और न्यूज चैनलों ने अपनी कैरेज फीस देने में कोताही बरती तो नतीजा यह निकला कि गुजरात, महाराष्ट्र, और हिन्दी भाषी राज्यों में केबल चैनलों ने उनके चैनल को या तो स्विच ऑफ कर दिया या फिर बैंड के सबसे नीचे हिस्से में डाल दिया। अब तो न्यूज ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन ने भी केबल कंपनियों को भुगतान की जाने वाली कैरेज फीस को बंद करने की मांग भी रखी है।

First Published - November 10, 2008 | 9:53 PM IST

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