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5जी स्पेक्ट्रम के लिए वैश्विक बेंचमार्क मूल्य पर बात

Last Updated- December 11, 2022 | 8:06 PM IST

दूरसंचार नियामक ट्राई कुछ ही दिनों में 5जी स्पेक्ट्रम पर अपनी सिफारिशें जारी कर सकता है। इस बीच 5जी के मूल्य निर्धारण को लेकर हितधारकों के बीच चर्चा का बाजार गरम है। यदि मोबाइल ऑपरेटरों- रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया- को दूरसंचार नियामक से अपनी मांग मनवाने में सफलता मिलती है तो उन्हें 5जी स्पेक्ट्रम के लिए वैश्विक बेंचमार्क के अनुरूप कीमत का भुगतान करना पड़ेगा। इससे 5जी नेटवर्क का परिचालन काफी सस्ता हो जाएगा।
यदि आधार मूल्य के लिए उनकी मांगों को स्वीकार कर लिया जाता है तो दूरसंचार कंपनियों को देश भर में 100 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम, मघ्यम बैंड के स्पेक्ट्रम और  30 वर्षों के लंबे समय के लिए 2,460 से 4,920 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। एक दूरसंचार कंपनी ने मांग की है कि किस्तों के भुगतान पर ब्याज देय नहीं होना चाहिए।
दूरसंचार कंपनियां एक सुर में मध्यम बैंड (3,300 से 3,600 मेगाहट्र्ज) के 5जी स्पेक्ट्रम के लिए 2018 में नियामक द्वारा सिफारिश किए गए आधार मूल्य को 90 से 95 फीसदी घटाने की मांग कर रही हैं। इतना ही नहीं ऑपरेटरों ने 5जी मिलीमीटर बैंड में स्पेक्ट्रम के लिए मध्यम बैंड वाले स्पेक्ट्रम मूल्य के मुकाबले 100वां हिस्सा रखने की मांग की है।
सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि नियामक क्या निर्णय लेता है। ट्राई को अगस्त 2018 में सुझाए गए अपने मूल्य में भारी कटौती करने की चुनौती से जूझना पड़ रहा है क्योंकि सभी हितधारकों ने उसका तगड़ा विरोध किया है। हालांकि इस संबंध में अंतिम निर्णय केंद्रीय कैबिनेट द्वारा लिया जाएगा जिसके पास ट्राई की सिफारिशों में संशोधन करने का अधिकार है।
हालांकि दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा आधार मूल्य घटाने की मांग 5जी स्पेक्ट्रम की वैश्विक नीलामी के अनुरूप है। उदाहरण के लिए, पिछले साल ब्रिटेन में की गई नीलामी के तहत 1 मेगाहट्र्ज 5जी स्पेक्ट्रम की कीमत 42.84 करोड़ रुपये थी जो भारतीय दूरसंचार कंपनियों की मांग के अनुरूप है। ऑस्ट्रेलिया में यह आंकड़ा महज 35 करोड़ रुपये है। स्पेन में यह आंकड़ा महज 14 करोड़ रुपये और ऑस्ट्रिया में महज 7 करोड़ रुपये है।
दूरसंचार नियामक ट्राई ने 2018 में देश भर में 5जी स्पेक्ट्रम (उपलब्ध मात्रा 3,300 से 3,600 मेगाहट्र्ज कम थी जो अब 3,300 से 3,670
मेगाहट्र्ज है) के लिए 492 करेाड़ रुपये रखने की सिफारिश की थी जो 1,800 के रिवर्स मूल्य का 30 फीसदी था।
रिलायंस जियो का मानना है कि 5जी सेवा प्रदाताओं को 200 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम की जरूरत होगी और इसलिए 3,300 से 4,200 मेगाहट्र्ज में सभी स्पेक्ट्रम दूरसंचार कंपनियों को आवंटित किए जाने चाहिए। लेकिन एयरटेल की रणनीति अलग है। वह मध्यम बैंड में निर्बाध और बिना किसी हस्तक्षेप वाले स्पेक्ट्रम की नीलामी चाहती है क्योंकि उसमें रक्षा बलों और नौसेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले स्पेक्ट्रम को शामिल करने पर बदलाव में वक्त लगेगा।
एयलटेल की गणना के अनुसार, मध्यम बैंड में नीलामी के लिए उपलब्ध कुल स्वच्छ स्पेक्ट्रम अब 240 मेगाहट्र्ज है और इसलिए इस नीलामी में तीनों ऑपरेटरों में से प्रत्येक को 80 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम दिया जा सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि बीएसएनएल पर भी गौर किया जाना चाहिए और ऐसे में औसत उपलब्धता घटकर 60 मेगाहट्र्ज रह जाएगी। रिलायंस का मानना है कि 5जी स्पेक्ट्रम की इतनी कम उपलब्धता में एकल आधार पर आवंटन संभव नहीं है।

First Published - April 7, 2022 | 11:50 PM IST

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