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शुल्क बढ़ाने पर एकमत नहीं दूरसंचार कंपनियां

Last Updated- December 12, 2022 | 1:43 AM IST

दूरसंचार कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए सरकार ने उन्हें अपनी शुल्क दरों पर पुनर्विचार करने को कहा था लेकिन दूरसंचार ऑपरेटरों की राय इस पर बंटी हुई है। कुछ का कहना है कि कुछ अरसा पहले उद्योग में शुल्क दरें बढ़ाई गई थीं लेकिन कुछ प्रतिस्पर्धी कंपनियों ने रियायती शुल्क दरें पेश कर इस बढ़ोतरी को बेअसर कर दिया था। हालांकि इनमें से अधिकांश रियायती शुल्क दरों को नियामक से अनिवार्य मंजूरी भी नहीं मिली थी।
एक दूरसंचार कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘उद्योग में पहले शुल्क दरों में बढ़ोतरी पर सहमति हुई थी लेकिन वह कारगर नहीं रही क्योंकि कुछ कंपनियों ने खास श्रेणियों में शुल्कों में छूट देनी शुरू कर दी ताकि उनके ग्राहकों की संख्या पर कोई असर नहीं पड़े। इन नई शुल्क दरों के बारे में नियामक को भी नहीं बताया गया था। ऐसे में इस बात की क्या गारंटी है कि आगे इस तरह की पहल कारगर साबित होगी।’ 2018 में सरकार ने दूरसंचार और विमानन कंपनियों को अपनी शुल्क दरों पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया था क्योंकि प्रतिस्पर्धा के कारण शुल्क कम रखने से उन कंपनियों की ही वित्तीय सेहत खराब हो रही थी। 

दिसंबर 2019 में दूरसंचार कंपनियां इस पर राजी हो गईं और शुल्क दरों में करीब 20 फीसदी तक बढ़ोतरी की गई। लेकिन यह बढ़ोतरी वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियों को संकट से उबारने के लिए निश्चित तौर पर पर्याप्त नहीं थी। अधिकांश दूरसंचार कंपनियां खुलकर शुल्क बढ़ाने की बात कहती रही हैं लेकिन इस दिशा में पहला कदम कोई नहीं बढ़ाना चाहता। पिछले कुछ हफ्तों में भारती एयरटेल और वोड-आइडिया ने थोड़ी हिम्मत दिखाई और कुछ श्रेणियों में शुल्क दरें बढ़ा दीं। उदाहरण के लिए एयरटेल ने एंटरप्राइज ग्राहकों के लिए पोस्ट पेड शुल्क दरों में 50 फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की। लेकिन पोस्ट पेड श्रेणी में भारती एयरटेल और वोडा-आइडिया का वर्चस्व है और उनकी मुख्य प्रतिस्पर्धी कंपनी रिलायंस जियो की इसमें मामूली हिस्सेदारी है। एयरटेल ने इसके बाद न्यूनतम प्रीपेड शुल्क भी 49 रुपये से बढ़ाकर 79 रुपये कर दिया है। इसका मतलब यह हुआ कि करीब 3 करोड़ ग्राहकों को अब पहले से थोड़ा अधिक शुल्क चुकाना होगा।
विश्लेषकों ने यह भी दोहराया है कि शुल्क दरों में वृद्धि एक अच्छा संकेत है लेकिन इससे वोडाफोन आइडिया के मुनाफे में कोई खास अंतर नहीं दिखेगा। वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल दोनों शुल्क दरों में वृद्धि को लेकर काफी मुखर रही हैं। यहां तक कि एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने कहा है कि उद्योग के लिए करीब 200 रुपये तक का एआरपीयू सहज रहना चाहिए। हालांकि एयरटेल के एक वरिष्ठï अधिकारी ने पहले बताया था कि एयरटेल शुल्क दरों में वृद्धि के लिए पहले कदम नहीं उठाएगी क्योंकि उसकी शुल्क दरें रिलायंस जियो के मुकाबले अधिक हैं और ऐसे में उसे बाजार हिस्सेदारी का नुकसान हो सकता है। जियो के करीबी सूत्रों ने भी कहा कि कंपनी शुल्क दरों में वृद्धि के लिए पहल करने से बचेगी।

दूरसंचार कंपनियों की सेगमेंटेड टैरिफ पेशकश कुछ समय के लिए विवाद की जड़ रही है। साल 2018 में ट्राई ने शुल्क दरों के खुलासे संबंधी मानदंडों का उल्लंघन करने (जहां नियामक को एक नई शुल्क दर योजना के बारे में सूचित किया गया था) के लिए भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को नोटिस भेजा था। दूरसंचार नियामक ने ग्राहकों के लिए सेगमेंटेड टैरिफ लॉन्च करने पर जुर्माना लगाने की धमकी दी थी। हालांकि एयरटेल ने अपील की और टीडीसैट से अंतरिम राहत हासिल करने में सफल रही कि नियामक इस मुद्दे पर दूरसंचार कंपनी पर जुर्माना नहीं लगा सकता है। हालांकि नवंबर 2020 में सर्वोच्च न्यायालय ने नियामक की अपील पर यह स्पष्टï कर दिया कि ट्राई किसी खास वर्ग के ग्राहकों के लिए सेगमेंटेड टैरिफ या विशेष पेशकश के बारे में विवरण मांग सकता है लेकिन जानकारी को गोपनीय रखना ट्राई की जिम्मेदारी होगी ताकि वह प्रतिस्पर्धियों को उपलब्ध न हो सके।

First Published - August 21, 2021 | 1:22 AM IST

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