facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

महाप्रलय नहीं, आज होगा महाप्रयोग

Last Updated- December 07, 2022 | 8:41 PM IST

पूरी दुनिया की निगाहें बुधवार के दिन पर टिकी हैं। क्या इस दिन महाप्रलय होगी और पूरा ब्रह्मांड, यानी पृथ्वी, सूर्य, चंद्रमा और सौरमंडल का अस्तित्व खत्म हो जाएगा?


या फिर ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्यों का वैज्ञनिक पता लगा सकेंगे? आइए जानते हैं क्या है यह प्रयोग और दुनियाभर के वैज्ञानिक इसके जरिए क्या और कैसे हासिल करना चाहते हैं?

क्या है यह प्रयोग :  ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों का पता लगाने के लिए स्विट्जरलैंड और फ्रांस के बीच जेनेवा में धरती के अंदर करीब 330 फीट गहराई पर 27 किलोमीटर लंबे और 3.8 मीटर चौड़ा सुरंगनुमा मशीन लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) का निर्माण किया गया है।

जिसमें वैज्ञानिक साइक्लोट्रोन और सिंक्लोट्रोन के जरिए उच्च ताप के चुंबकीय तरंगों के बीच विपरीत दिशाओं से आने वाले प्रोटॉनों को आपस में टकराकर महाविस्फोट की स्थिति पैदा करेंगे। इस विस्फोट से सूर्य से एक लाख गुना ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न होगी। यानी उतनी ऊर्जा, जितनी कि बिग बैंग (महाविस्फोट) के समय पैदा हुई थी। इस ऊर्जा को परखनली में कैद कर वैज्ञानिक ब्रह्मांड के रहस्यों का पता लगाने का प्रयास करेंगे।

कितने वैज्ञानिक जुटे हैं : 20 साल से चल रही इस परियोजना पर भारत समेत दुनिया के 85 देशों के करीब 8000 भौतिकविद् और सैकड़ों विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ काम कर रहे हैं। 10 सितंबर को इस प्रयोग के साक्षी होंगे करीब 2500 वैज्ञानिक, जबकि इस प्रयोग का नेतृत्व जर्मन वैज्ञानिक ईवान्स कर रहे हैं। भारत के टाटा इंस्टीटयूट फॉर फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, साहा इंस्टीटयूट और पंजाब विश्वविद्यालय ने डिटेक्टरों को सॉफ्टवेयर के अलावा, अन्य सेवाएं मुहैया कराई हैं।

कितना आया खर्च: मानव इतिहास के सबसे बड़े इस वैज्ञानिक प्रयोग पर करीब करीब 384 अरब रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

क्या होगा हासिल : 20वीं सदी की शुरुआत में वैज्ञानिकों ने दुनिया के अधिकतर रहस्यों से पर्दा उठा दिया था। न्यूटन ने मैकेनिक्स के सिद्धांत से ब्रह्मांड के नियम समझाने की कोशिश की, तो थर्मोडायनमिक्स के जरिए औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हुआ।

मैक्सवेल ने इलैक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग सिद्धांत के जरिए प्रकाश के नियम समझाए। बावजूद इसके अब भी बहुत कुछ जानना बाकी रह गया है। मसलन-इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई, अंतरिक्ष का निर्माण कैसे हुआ? क्या ब्रह्मांड उन्हीं चीजों से बना है, जो हमें दिखाई देती हैं या फिर कुछ और भी तत्वों का इसमें योगदान है?

ब्रह्मांड में तीन आयामों-लंबाई, चौड़ाई और गहराई के अलावा, क्या चौथा आयाम भी है? अगर वैज्ञानिक इसमें कामयाब हो जाते हैं, तो ब्रह्मांड के रहस्यों से पर्दा तो उठेगा ही कैंसर जैसी बीमारी के भी उपाय तलाशे जा सकेंगे।

हंगामा है क्यों बरपा? : इस प्रयोग को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक दो धड़ों में बंट गए हैं। एक तबके का मानना है कि इस प्रयोग से पृथ्वी को कोई नुकसान नहीं होगा और यह पूरी तरह से सुरक्षित रहेगी। जबकि इसके विपक्ष में वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रयोग से ब्लैक होल बनने का खतरा है।

ब्रिटिश अखबार डेली मेल ने वैज्ञानिकों के हवाले से लिखा है कि इससे पृथ्वी नष्ट हो सकती है। उनके मुताबिक, इसका असर हिंद महासागर से शुरू होगा, जो अगले चार सालों तक कहर बरपा सकता है।

सुरक्षा के क्या हैं उपाय : प्रयोग से जुडे वैज्ञानिकों समेत दुनिया के ज्यादातर वैज्ञानिक इसे पूरी तरह सुरक्षित मानते हैं। यूरोपीय परमाणु एजेंसी ने भी एलएचसी को सुरक्षित बताया है। इसमें बड़े-बड़े मैग्नेट्स लगाए गए हैं, जो सुपर कंडक्टिंग का काम करेंगे। इसके साथ ही जिनसे आवेशित कणों का प्रवाह किया जाएगा, वह लिक्विडेटर से जुड़ा होने के कारण ठंडा रहेगा, जिससे इसमें विस्फोट की गुंजाइश नहीं होगी।

First Published - September 10, 2008 | 1:28 AM IST

संबंधित पोस्ट