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यूजर्स का टेंशन, जब मोबाइल पर न हो कंप्यूटर जैसे ऑप्शन

Last Updated- December 05, 2022 | 9:20 PM IST

क्या आप अपने को अपडेट करने के लिए सेलफोन पर इंटरनेट लॉग करते हैं या कभी अचानक आप वेब सर्फ करते हैं और आपकी बैटरी खत्म हो जाती है?


यह आप पर निर्भर करता है कि आपने किस तरह  की सर्फिंग आदतें मोबाइल पर पाल रखी हैं लेकिन एक अंतरराष्ट्रीय मूल्यवर्द्धित सेवा प्रदाता कंपनी ब्यूऑनगिओर्नो आपको इस लिहाज से दो श्रेणी में बांटती हैं, पहला या तो आप प्रैगमेटिस्ट हैं या आप एमब्रेसर हैं।


भारत के बारे में विशेषज्ञ अनुमान लगाते हैं कि 20 से 25 प्रतिशत मोबाइल का इस्तेमाल इंटरनेट सर्फिंग के लिए किया जाता है। अगर मिसाल के तौर पर एमब्रेसर की जमात पर गौर करें तो वे अपने मोबाइल पर इंटरनेट सर्फिंग का इस्तेमाल मनोरंजन और सूचना पाने के लिए करते हैं।


वे जब इस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं तब उसकी बैटरी की सीमा उतनी ही होती है जितनी देर वे ऑनलाइन रहते हैं। ब्यूऑनगिओर्नो कंपनी के कंट्री मैनेजर मिलिंद पाठक की मानें तो वे मोबाइल पर वे तब ब्राउजिंग करते हैं, जब दोस्तों के साथ रहते हैं या अकेले रहते हैं या बस स्टॉप पर तन्हाई में खड़े रहते हैं या बाथरूम में होते हैं।


दूसरी तरफ प्रैगमैटिक यूजर्स वे हैं जो अपनी जिंदगी को आसान बनाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। उनके लिए ब्राउजिंग केवल सूचना पाने का एक साधन है। मिलिंद ने कहा कि इस श्रेणी के लोग कुछ देर के लिए ऑनलाइन रहते हैं और अपना काम करके ऑफलाइन हो जाते हैं। प्रैगमेटिक श्रेणी के यूजर्स के लिए ब्राउजिंग एक व्यक्तिगत कार्यकलाप है और वे इस गतिविधि को अपने दोस्तों से भी नही बांटते हैं।


चाहे यूजर्स एंब्रेसर हो या प्रैगमैटिस्ट , महत्वपूर्ण बात यह है कि वे मोबाइल ब्राउजर का इस्तेमाल ऑपरेटर के होमपेज को चेक करने का अवसर पाने के लिए करते हैं। यह एक महत्त्वपूर्ण प्रवृत्ति है कि डिफॉल्ट होमपेज या वेबसाइट को मोबाइल पर बुकमार्क करना एक जटिल प्रक्रिया है। मिलिंद कहते हैं कि जब लोग काफी विश्वस्त हो जाते हैं तो ऑपरेटर लिंक भूल जाते हैं।


मोबाइल ब्राउजिंग की शुरूआत रिंगटोन्स और वॉलपेपर को पाने से होता है और होते होते यूजर्स मनोरंजन और इंटेलीजेंट कॉन्टेन्ट को पाने में भी इसका इस्तेमाल करने लगते हैं। लेकिन इन यूजर्स को निराशा तब होने लगती है जब कॉन्टेंट ऑप्शंस की जटिलताओं के साथ सुरक्षा और फिर इस सुविधा के लिए कीमत चुकाने की बात आने लगती है।


वैसे इन चीजों से निजात तब ही मिल सकती है जब इसके प्रति लोगों को सजग किया जाए लेकिन यूजर्स तो बस मोबाइल पर ही कंप्यूटर के बराबर सुविधाओं की तलाश करते हैं।

First Published - April 13, 2008 | 11:31 PM IST

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