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अमेरिका में निर्यात करेगी केविन केयर

Last Updated- December 07, 2022 | 12:42 AM IST

दैनिक उपभोक्ता सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली चेन्नई की  कंपनी केविन केयर एक छोटी कंपनी से अधिग्रहण के बारे में बातचीत कर रही है।


केविन केयर के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सी के रंगनाथन ने कहा कि इस साल फरवरी में फलों के डिब्बाबंद जूस ‘मां’ के अधिग्रहण के बाद कंपनी ने इस बाजार में कदम रखा था। कंपनी ऐसी ही कुछ और कम मशहूर ब्रांडों के अधिग्रहण के जरिये अपना विस्तार करने की योजना बना रही है।

कंपनी को उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष में कुछ और ऐसे समझौते भी हो सकते हैं। रंगनाथन ने कहा, ‘हमारी योजना स्थानीय ब्रांड खरीदकर उसे केविन केयर के नाम से पूरे देश में पहुंचाना है। अभी कंपनी पुड्डुचेरी में ठेके पर निर्माण करने वाली एक इकाई का अधिग्रहण कर  उसे निर्यात इकाई के रूप में विकसित करना है।’

अभी इस इकाई में केविन केयर के अलावा दूसरी कंपनियों के उत्पादों का भी निर्माण किया जाता है। रंगनाथन ने कहा, ‘कि अधिग्रहण के बाद यह इकाई सिर्फ और सिर्फ केविन केयर के लिए ही उत्पादों का निर्माण करेगी। कंपनी इस इकाई को निर्यात इकाई के रूप में विकसित करेगी।’

रंगनाथन ने बताया कि पुड्डुचेरी की इकाई के अधिग्रहण के लिए कंपनी 10 करोड़ रुपये खर्च करेगी। कंपनी ने ब्रांडों के अधिग्रहण के लिए लगभग 15-100 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रखी है। उन्होंने बताया कि कंपनी नए क्षेत्रों में प्रवेश करना चाहती है। कंपनी ने ‘मां’ के अधिग्रहण के लिए 30 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। इसके साथ ही कंपनी और दो-तीन स्थानीय ब्रांडों के अधिग्रहण के लिए बातचीत कर रही है।

केविन केयर के 560 करोड़ रुपये के सालाना कारोबार में से लगभग 40 करोड़ रुपये कंपनी के खाद्य इकाई से ही आते हैं। निर्यात के क्षेत्र में कंपनी अमेरिकी बाजार में रुचि ब्रांड के जरिये कदम रखने की योजना बना रही है। रंगनाथन ने कहा, ‘अमेरिकी बाजार में मुनाफा दर काफी अधिक होती है।’ एफएमसीजी बाजार में बढ़ती महंगाई के चलते पिछले वित्त वर्ष के दौरान यह बाजार 13 फीसदी की विकास दर के हिसाब से बढ़ा लेकिन इस साल यह विकास दर 20 फीसदी तक पहुंच सकती है। 

केविन केयर के मुख्य प्रबंध निदेशक सी के रंगनाथन ने बताया कि के विन केयर रुचि ब्रांड के ट्रेडमार्क को लेकर चल रहे मुकदमे को कोर्ट के बाहर सुलझाने में कामयाब हो सकती है। केविन केयर ने 2003 में ही रुचि पिकल्स को 15.5 करोड़ रुपये में खरीदा था।

रंगनाथन ने कहा,’जब हमने यह अधिग्रहण किया था तो हमें ऐसा कुछ होने की संभावना लग रही थी और हमें मामला जल्दी सुलझने की उम्मीद थी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। लेकिन अब जल्द ही इस मामले को कोर्ट के बाहर सुलझा लिया जाएगा।’ रुचि सोया इंडस्ट्रीज ने अधिग्रहण के बाद भी ब्रांड के पूर्व मालिक श्याम ग्रुप द्वारा रुचि पिकल्स के नाम के  इस्तेमाल को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी।

First Published - May 20, 2008 | 1:53 AM IST

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