निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों – एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, और इंडसइंड बैंक के मार्च 2020 तिमाही के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि कोविड-19 से संबंधित प्रावधान खर्च से इनके मुनाफे पर दबाव पड़ा है।
कुल मिलाकर, कोविड संबंधित प्रावधान राशि 8,678 करोड़ रुपये पर रही जिससे बैंकों का कर-पूर्व लाभ 45 प्रतिशत तक घट गया। दूसरे शब्दों में इसे इस तरह से समझाया जा सकता है कि यदि इन बैंकों ने प्रावधान खर्च नहीं किया होता तो इनके द्वारा दर्ज 10,792 करोड़ रुपये का कर-पूर्व संयुक्त लाभ 19,740 करोड़ रुपये होता। कर्जदारों के क्रेडिट प्रोफाइल प्रभावित होने की वजह से बैंकों को चौथी तिमाही में प्रावधान अनिवार्य करना पड़ा। भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई ने शुरू में मार्च और मई के बीच ऋण ईएमआई की तीन किस्तों पर रोक की घोषणा की थी जिसे अब अगस्त तक बढ़ा दिया गया है और बैंकों से ऐसे खातों के लिए कम से कम 10 प्रतिशत प्रावधान करने को कहा गया है जो 1 मार्च को बकाया से जुड़े हुए थे। इनमें से कई बैंकों ने ईएमआई पर रोक और लॉकडाउन की वजह से पैदा हुए प्रभाव के स्वयं के आकलन के आधार पर ज्यादा प्रावधान संबंधित खर्च किया है। ऐक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक ने अपने कुल परिचालन लाभ का 37-59 प्रतिशत हिस्सा कोविड-19 संबंधित प्रावधान पर इस्तेमाल किया, जबकि कोटक महिंद्रा बैंक के मामले में यह 24 प्रतिशत और इंडसइंड बैंक तथा एचडीएफसी बैंक के लिए 10-12 प्रतिशत है। अग्रिमों के अनुपात के तौर पर इन बैंकों के कोविड-18 प्रावधान चौथी तिमाही में 14-61 प्रतिशत पर रहे।
इक्रा में वित्तीय क्षेत्र की रेटिंग के प्रमुख अनिल गुप्ता का कहना है, ‘बैंकों ने कोविड के लिए प्रावधान कर मजबूत कदम उठाए हैं जिससे उनके मुनाफे पर बड़ा प्रभाव पड़ा है।’ गुप्ता का मानना है कि हालांकि प्रावधान से पैदा हुआ दबाव आगामी तिमाहियों में ऊंचे स्तर पर बना रहेगा और बैंकों की आय पर इसका प्रभाव बढ़ सकता है। यह स्थिति उस अनिश्चितता की वजह से है जो कर्जदारों पर लॉकडाउन के प्रभाव की वजह से देखी जा सकती है। लॉकडाउन की वजह से कर्जदारों की ऋण चुकाने की क्षमता प्रभावित हुई है। कर्ज चुकाने के लिए दी गई मोहलत के तहत बैंकों की ऋण बुक आगामी तिमाहियों में बढऩे का अनुमान है, क्योंकि कर्जदार बढ़ती अनिश्चितताओं के बीच नकदी बचाए रखना पसंद कर सकते हैं।
इंडिया रेटिंग्स में वित्त क्षेत्र के प्रमुख प्रकाश अग्रवाल का भी समान नजरिया है। उनका कहना है, ‘जहां बैंकों द्वारा प्रावधान सही कदम है, वहीं महामारी में तेजी और मोहलत की अवधि में विस्तार को देखते हुए प्रावधान में और ज्यादा इजाफा किए जाने की जरूरत होगी।’ एडलवाइस के विश्लेषकों का मानना है कि ऐक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, और आईसीआईसीआई बैंक जैसे ऋणदाताओं ने ऋण रोक के तहत अपनी ऋण बुक का 25-30 प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल किया है।
वेतन कटौती या रोजगार नुकसान की वजह से लोगों के प्रभावित होने और प्रमुख उद्योगों/कंपनियों की रेटिंग में कमी की आशंका बनी हुई है।
लॉकडाउन और ऋण रोक के विस्तार की वजह से क्रेडिट सुइस ने हाल में बैंकों के लिए अपना ऋण लागत अनुमान 20-60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है।
विश्लेषकों का कहना है कि हालांकि सकारात्मक बदलाव यह है कि निजी बैंक अपेक्षाकृत ऊंचे और बेहतर प्रावधान कवरेज अनुपात में सक्षम हैं। विदेशी ब्रोकरेज का अनुमान है कि भारतीय बैंकों को अगले 12 महीनों में 20 अरब डॉलर जुटाने की जरूरत होगी, जिसमें से 13 अरब डॉलर की जरूरत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को होगी।