कर्मचारियों की सुविधाओं में पहले ही कटौती कर चुकी बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) कंपनियां अब उनकी नौकरियों में धड़ल्ले से कटौती कर रही हैं।
रोज-रोज कर्मचारियों के इस्तीफे से आजिज रहने वाली इन कंपनियों ने सैकड़ों की संख्या में कर्मचारियों को या तो निकाल दिया है या उन्हें एक महीने का नोटिस दे दिया है। भारत में 10.9 अरब अमेरिकी डॉलर का कारोबार करने वाली बीपीओ कंपनियों में कर्मचारियों को काम से निकालने का सिलसिला दो-तीन महीने तक जारी रहने की संभावना है।
लागत में कमी के नाम पर बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुख्य रूप से कर्मचारियों को निकालने का काम कर रही है। आईटी क्षेत्र के लिए कॉल सेंटर का काम करने वाली ऐने इंडिया कंपनी ने इस महीने अपने यहां कार्यरत 400 कर्मचारियों को बर्खास्त करने का ऐलान किया है। निकाले जाने वाले कर्मचारियों को इसकी जानकारी दे दी गयी है।
24 सेवेन कस्टमर नामक बीपीओ कंपनी ने अपने गुड़गांव कार्यालय से 450 कर्मचारियों की कटौती करने जा रही है। कंपनी ने 31 जुलाई तक इन कर्मचारियों को कहीं और नौकरी खोजने के लिए कहा है। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि ग्राहकों की मांग में बदलाव को देखते हुए यह कटौती की गयी है। कनवर्जिस नामक कंपनी ने 150 कर्मचारियों को अपना बंदोबस्त करने के लिए कह दिया है। दूरसंचार से जुड़ी ब्रिटेन की बीपीओ कंपनी ऑरेंज ने तो भारत में स्थित अपनी पूरी यूनिट पर ही ताला लगा दिया है।
सूत्रों के मुताबिक विदेशी खास कर अमेरिकी ग्राहकों से जुड़ी बीपीओ कंपनियां आने वाले समय में 3000 लोगों को काम से निकाल सकती है। कॉल सेंटर का काम करने वाली गुड़गांव स्थित कम से कम एक दर्जन छोटी कंपनियां तो मई-जून महीने के दौरान ही बंद हो चुकी है। नोटिस पा चुके एक कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘नियुक्ति के वक्त कंपनी ने उनसे बांड भरवाया था कि छह माह के पहले छोड़कर जाने पर 25,000 रुपये देने पड़ेंगे। अब वही कंपनी ने उन्हें मात्र एक महीने के नोटिस पर निकाल रही है।’
बीपीओ उद्योग के जानकारों के मुताबिक चार महीने पहले तक हर महीने कम से कम 30-40 फीसदी बीपीओ कर्मचारी नौकरी बदलते थे। अब हर कंपनी में नो वेकेंसी का बोर्ड लग चुका है। इस बारे में बिजनेस प्रॉसेस इंडस्ट्री एसोसिएशन का कहना है कि अमेरिका में छा रही मंदी के कारण लागत में कमी के नाम पर नौकरी में कटौती की जा रही है। एसोसिएशन के मुताबिक इन कंपनियों के ग्राहकों की संख्या में लगातार कमी हो रही है, ऐसे में कंपनी के पास लागत कम करने के अलावा और कोई चारा नहीं है।