बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में दुनिया भर में आई तेजी और रियल एस्टेट के कारोबार में इजाफे की संभावनाओं को देखकर दुनिया भर की कंपनियां विस्तार की होड़ में शामिल हैं।
भारतीय विनिर्माण कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) के कंक्रीट कारोबार के लिए भी तमाम दिग्गज कतार में लग गई हैं। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट निर्माता कंपनी लाफार्ज भी रेडी मिक्स कंक्रीट का यह कारोबार खरीदने के लिए तैयार हो गई है।
लाफार्ज सबसे आगे
फ्रांस की यह नामी कंपनी इस होड़ में फिलहाल सबसे आगे है। सूत्रों के मुताबिक अगले हफ्ते ही यह सौदा हो जाने की पूरी संभावना है। बाजार के जानकारों के मुताबिक संयंत्रों की जमीन समेत इस पूरे कारोबार की कीमत तकरीबन 1,000 करोड़ रुपये आंकी गई है।
इस बारे में संपर्क किए जाने पर एलऐंडटी के प्रवक्ता ने सौदे की संभावना से इनकार नहीं किया। अलबत्ता उसने कहा कि कंपनी बाजार में फैली अटकलों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती। लाफार्ज इंडिया के प्रवक्ता ने भी फिलहाल इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
पिछले साल दिसंबर में एलऐंडटी ने अपने आरएमसी कारोबार को एक अलग कंपनी एलऐंडटी कंक्रीट में तब्दील करने का फैसला किया था। कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ए एम नाइक ने भी हाल में कहा था कि एलऐंडटी जल्द ही अपने सभी सहायक कारोबारों को अलग कंपनियों की शक्ल दे देगी।
एलऐंडटी है अव्वल
एलऐंडटी ने सीमेंट का अपना कारोबार 2001 में बिड़ला समूह के हाथ बेच दिया था। अब उसे बिड़ला ने अल्ट्राटेक सीमेंट का नाम दिया है। लेकिन आरएमसी का कारोबार एलऐंडटी के पास ही रहा था। कंपनी आरएमसी के मामले में बाजार में अव्वल कंपनी है। देश के कुल आरएमसी बाजार में उसकी हिस्सेदारी तकरीबन 25 फीसद है। कंपनी इस कारोबार से सालाना कम से कम 1,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल करती है।
एलऐंडटी के देश भर में 66 आरएमसी संयंत्र हैं। उनकी सालाना उत्पादन क्षमता लगभग 40 लाख घनमीटर है। इनमें से 25 संयंत्र दक्षिण भारत में हैं और बाकी पश्चिम तथा उत्तर में हैं। उद्योग के जानकारों के मुताबिक सीमेंट के कारोबार में 3 फीसद हिस्सेदारी आरएमसी की है। लेकिन बुनियादी ढांचे का जिस तरह से विस्तार हो रहा है, उसे देखते हुए इस कारोबार में इजाफे की जबर्दस्त संभावनाएं हैं।
लाफार्ज ने भारतीय बाजार में 1999 में कदम रखा था। सबसे पहले उसने टाटा स्टील के सीमेंट कारोबार का अधिग्रहण किया था। उसके बाद रेमंड का सीमेंट संयंत्र भी 2001 में लाफार्ज के छाते तले आ गया था। कंपनी के भारत में अभी 3 संयंत्र हैं। इनमें 2 छत्तीसगढ़ में हैं, जबकि 1 झारखंड में है।
कई दूसरी कंपनियां भी आरएमसी कारोबार को सीमेंट से अलग कर रही हैं। एसीसी ने भी इसी साल इसके लिए एसीसी कंक्रीट नाम की नई कंपनी बनाई है। एसीसी ने इस बारे में कुछ भी नहीं बताया कि वह एलऐंडटी का आरएमसी कारोबार खरीदने की दौड़ में शामिल है या नहीं। लेकिन उसने कहा कि यदि वह मौका चूक जाती है, तब भी उसे ज्यादा नुकसान नहीं होगा क्योंकि आरएमसी इकाई शुरू करने में वैसे भी ज्यादा रकम नहीं लगानी पड़ती।
होलसिम भी होड़ में
स्विट्जरलैंड की सीमेंट कंपनी होलसिम भी एलऐंडटी के कारोबार पर निगाह गड़ाए हुए है क्योंकि इसका जबर्दस्त बाजार है।
…मजबूत है एलऐंडटी का कंक्रीट
एलऐंडटी का भारत के कंक्रीट बाजार के चौथाई हिस्से पर कब्जा
सीमेंट कारोबार का भविष्य है कंक्रीट का कारोबार
एलऐंडटी के देश भर में 66 आरएमसी संयंत्र, बुनियादी ढांचा भी मजबूत
इसीलिए टपक रही है लाफार्ज की लार