प्रमुख कमर्शियल वाहन निर्माता कंपनी महिन्द्रा एंड महिन्द्रा अगले दो वर्षों में नए उत्पाद विकास पर 2250 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
एमएंडएम यूटीलिटी एवं मल्टी-पर्पज वीकल के क्षेत्र में चार नए प्लेटफॉर्म विकसित कर रही है।
इसका उद्देश्य गैर-कार बाजार में कंपनी की कारोबारी नीति को आगे बढ़ाना है। कंपनी पिछले कुछ वर्षों में इस सेगमेंट में अपने लोकप्रिय ब्रांडों स्कोर्पियो और बोलेरो को बेच रही है।
कंपनी की चकन परियोजना के लिए 4500 करोड़ रुपये लगाए गए हैं जो 2010 तक कंपनी के 6400 करोड रुपये के नियोजित पूंजी खर्च का एक हिस्सा है।
2250 करोड़ रुपये नए उत्पादों, जिनमें इंजीनियो, प्रीमियम एसयूवी शामिल हैं, के कोष विकास पर खर्च किए जाएंगे। इस कोष के जरिए कंपनी को एक विशाल बाजार मंच मुहैया होगा।
महिन्द्रा एेंड महिन्द्रा के अध्यक्ष (ऑटोमोटिव सेक्टर) पवन गोयनका ने कहा, ”अगले दो वर्षों में हमारे नए उत्पादों का श्रीगणेश हो जाएगा। इस अवधि में हम इन उत्पादों को पूरी तरह तैयार कर लेंगे और भारतीय और वैश्विक बाजार में बेचेंगे।
इन उत्पादों से हमें वैल्यू चेन को मजबूत करने और यूटीलिटी वाहन क्षेत्र में हमें दबदबा बढ़ाने में मदद मिलेगी।”
इंगेनियो मल्टी-पर्पज वीकल (एमपीवी), जिस पर अब तक 550 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है, 6 वर्ष पहले स्कोर्पियो के शुभारंभ के बाद कंपनी की सर्वाधिक महत्वाकांक्षी परियोजना होगी।
कंपनी के अधिकारियों के अनुसार इस वाहन को इस वित्तीय वर्ष में लांच किया जाना प्रस्तावित है, लेकिन इसे प्रतिस्पर्धी बनाने को ध्यान में रख कर इसे उन्नयनन के लिए भेज दिया गया है।
प्रमुख स्पोट्र्स यूटीलिटी वीकल (एसयूवी) परियोजना पूरी तरह नए प्लेटफार्म पर आधारित होगी।
कंपनी का उद्देश्य प्रमुख एसयूवी सेगमेंट में मजबूत उपस्थिति दर्ज करना है जिसमें इस वर्ष अब तक 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। सेगमेंट पर फोर्ड (एंडीवर), होंडा (सीआर-वी) और टोयोटा (लैंड क्रूजर प्राडो) जैसी कंपनियों का प्रभुत्व कायम है।
हालांकि एसयूवी सेगमेंट का आकार सीमित है। घरेलू बाजार में यह प्रति वर्ष 1200 वाहनों तक सीमित है।
यूरोप और अमेरिका जैसे वैश्विक बाजारों में एसयूवी की ईंधन क्षमता के लिए मांग उत्साहजनक है। एमएंडएम अमेरिका में अपनी एसयूवी 2009 में लांच करेगी।
विशाल बाजार मंच माल वाहकों के साथ-साथ यात्री वाहनों के लिए भी मांग की पूर्ति करेगा। कंपनी अपने बाजार को बढ़ाने पर भी विचार कर रही है।
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी सेगमेंट में शानदार उपस्थिति दर्ज करने की योजना बना रही है।
एक विश्लेषक के अनुसार, ”भारत में वाहनों के लिए कुल बाजार 1.5 लाख वाहनों का है जो वित्तीय वर्ष 2010 तक 21 प्रतिशत की तेज वृद्धि के साथ बना रहेगा। इस क्षेत्र में विशाल संभावनाएं विकसित हाेंगी। कुल बाजार की बात करें तो उत्तरी क्षेत्र में सालाना 22 हजार से 25 हजार वाहनों की मांग है।”