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मॉल की दुकानों पर पड़ी किराये की मार

Last Updated- December 07, 2022 | 12:00 PM IST

फ्यूचर ग्रुप के साथ संयुक्त उपक्र्रम बनाकर भारत में आने वाली फ्रेंच लिंगरी ब्रांड ईटीएएम ने नवी मुंबई स्थित पॉल्म बीच के गॉलेरिया मॉल में अपना स्टोर बंद कर दिया है।


इसके साथ ही ग्रॉसरी चेन फूडलैंड फ्रेश और मनोरंजन साड़ीज समेत लगभग 6 ब्रांडों ने मॉल में अपने शोरूम बंद करने का फैसला किया है। दरअसल मॉल में लोगों के कम आने से और आसमान छूते किराये के कारण काफी सारे ब्रांड्स मॉल में अपनी दुकानें बंद कर रहे हैं।

वित्त वर्ष 2008 में ईटीएएम ने दुकानों के ज्यादा किराये के कारण मुंबई , दिल्ली, अहमदाबाद और सूरत में चार स्टोर बंद कर दिये हैं। मॉल में स्टोर बंद करने वाली ईटीएएम अकेली ब्रांड नहीं हैं। मॉल और महंगे इलाकों में कई फैशन, एपैरेल और एक्सेसरी रिटेलर्स या तो अपने स्टोर बंद कर रहे हैं। या फिर दूसरी जगहों पर जा रहे हैं जहां पर उन्हें दुकानों का कम किराया देना पड़े। जिससे वह कम बिक्री और ज्यादा किराए से पड़ रहे अतिरिक्त आर्थिक बोझ को कम कर सके।

अंतरराष्ट्रीय प्रॉपर्टी सलाहकार कंपनी जोन्स लैंग लासाले मेघराज (जेएलएलएम) के मुताबिक पिछले 2-3 साल में कम कारोबार और ज्यादा किराए के कारण मॉल में अपनी दुकानें बंद करने वाले रिटेलरों की संख्या में लगभग 50 फीसदी का इजाफा  हुआ है। कुछ रिटेलरों ने बताया कि पिछले 6 महीनों के दौरान देश के अधिकतर मॉल में आने जाने वाले लोगों  की संख्या में 20-25 फीसदी की गिरावट आई है। मुंबई के लिंकिंग रोड, दिल्ली के साउथ ऐक्सटेंशन , बेंगलुरु की ब्रिगेड रोड पर बने मॉल्स के किरायों में पिछले 2-3 साल में लगभग 50 फीसदी का इजाफा हुआ है।

रिटेलरों के मुताबिक आमतौर पर किराया कुल बिक्री का 10-12 फीसदी ही होना चाहिए लेकिन अब यह कुल बिक्री का 40 फीसदी तक होता है। जिससे हमारें मार्जिन काफी कम हो गए हैं। ईटीएएम फ्यूचर के मुख्य कार्यकारी जयदीप शेट्टी ने बताया, ‘मॉल में आने वाले लोगों की तादाद लगातार कम हो रही है जिसका असर हमारी बिक्री पर भी पड़ रहा था। इसीलिए हमने सोचा कि हम अपना आउटलेट ही बंद कर दे। इसके अलावा प्रॉपर्टी की कीमतों में भी काफी इजाफा हुआ है।’ उन्होंने बताया कि अब हमने तय किया है कि हम अपनी बिक्री का कुल 20 फीसदी ही किराया देंगे।

शेट्टी ने बताया कि पिछले दो हफ्तों में ही ग्राहकों की संख्या में 8-10 फीसदी की गिरावट आई है। उन्होंने बताया, ‘पिछले 7-8 महीनों में हमने कोई भी नई प्रॉपर्टी बुक नहीं की है। हम प्रॉपर्टी के दाम कम होने का इंतजार कर रहे हैं। हम अपनी सारी कमाई किराये में तो नहीं दे सकते हैं।’ अशोक पीरामल समूह से क्रॉरोड्सय खरीदने वाले  फ्यूचर ग्रुप ने इस मॉल के हिस्से को ऑफिस कॉम्पलैक्स में तब्दील कर दिया है। देश के सबसे बड़ी डेवेलपर कंपनी डीएलएफ ने भी लोअर परेल में बनने वाले रिटेल कॉम्पलैक्स में एक ऑफिस ब्लॉक भी बनाने पर विचार कर रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) स्थित डीएलएफ सिटी सेंटर से भी तुस्कान वर्व और मायाज टॉय स्टोर जैसे रिटेलरर्स कम बिक्री के चलते इन मॉल्स से बाहर जा रहे हैं।  बेंगलुरु के कई मॉल में तो 50-90 फीसदी दुकानें खाली ही हैं। चर्च स्ट्रीट में पूर्वा पवेलियन पिछले चार साल से आधा खाली ही है। जबकि सिग्मा मॉल से लगभग 50 फीसदी रिटेलर दुकानें छोड़कर जा चुके हैं।

मुंबई के राजन-रहेजा समूह की एपैरेल रिटेल चेन ग्लोबस ने भी बेंगलुरु में कम बिक्री के कारण अपने दो स्टोर बंद कर चुकी हैं। पहले यह समूह 4-5 साल में देश भर में लगभग 100 स्टोर खोलने की योजना बना रहा था। लेकिन अब समूह यह स्टोर अगले 5-6 साल में खोलेगा। अहमदाबाद में भी यही हाल है। जितनी तेजी से यहां मॉल खुले हैं उतनी ही तेजी से रिटेलरों ने इन्हें खाली भी किया है।
(अनिल अर्स, बेंगलुरु से, बी कृष्ण मोहन हैदराबाद से, मौलिक पाठक अहमदाबाद और पल्लवी बिसारिया लखनऊ से)

First Published - July 18, 2008 | 12:04 AM IST

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