वी के मोदी की कंपनी मोदी रबर सात साल के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर बस और ट्रक के टायरों का उत्पादन शुरू करने के लिए तैयार है।
टायर बाजार में आए उछाल को भुनाने के लिए कंपनी ने अपनी दो ठप पड़ी इकाइयों को दोबारा चालू करने का फैसला किया है। इसके लिए उसने औद्योगिक और वित्तीय पुनर्गठन बोर्ड (बीआईएफआर) से पुनर्वास योजनाओं को चलाने और उत्पादन शुरू करने के लिए मंजूरी ले ली है।
कंपनी के मैनेजर इन चार्ज आलोक मोदी का कहना है, ‘मरम्मत का काम अंतिम चरण में है और हम जून तक इसे पूरा कर सकते हैं। उसके बाद हम कुछ परीक्षण के तौर पर कुछ उत्पादन कार्य करेंगे। व्यावसायिक स्तर पर टायरों का उत्पादन के अगस्त में शुरू होने की उम्मीद है।’
शुरुआती दौर में कंपनी ट्रक और बस टायरों के उत्पादन से शुरुआत करेगी। कंपनी एक साल में 11 लाख टायर और टयूब का उत्पादन कर सकती है और कंपनी को उम्मीद है कि वह बिक्री में 1,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लेगी। कंपनी को उम्मीद है कि वह अपने संयंत्रों की क्षमता का 50-60 प्रतिशत इस्तेमाल करने पर ही पहले वर्ष में मुनाफा कमा लेगी।
इस दौरान तकनीकी में सुधार और कंप्यूटरीकृत करने का काम कंपनी की मेरठ की मोदीपुरम और परतापुर की दोनों इकाइयों में चलता रहेगा। कंपनी अपना मार्केटिंग और कच्चा माल खरीदने वाला नेटवर्क दोबारा बनाने में लगी हुई है। कंपनी ने प्रबंधकीय, बिक्री और परिचालन कर्मचारियों को नियुक्त करना शुरू कर दिया है।
मोदीपुरम इकाई (मोदी टायर कंपनी) मोदी रबर की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बन सकती है, इसलिए वित्त की कोई समस्या नहीं है। कंपनी के बंद होने से पहले इसमें 4,000 कर्मचारी काम करते थे। पिछले साढे छह वर्षों में 2,800 कर्मचारी कंपनी को छोड़कर जा चुके हैं। बाकी बचे हुए कर्मचारियों में से 1,100 ने कंपनी के साथ बकाया के निपटारे के लिए कंपनी से व्यक्तिगत करार कर लिए हैं और काम पर लौट आए हैं।
मोदी रबर के शेयरों का लेन-देन बंबई स्टॉक एक्सचेंज में फरवरी 2003 से बंद हो चुका है। हालांकि कंपनी अब भी एक्सचेंज में सूचीबध्द है। मोदी का कहना है, बीआईएफआर के तहत कंपनी के शेयरों में लेन-देन तभी मुनासिब हो सकता है जब बीआईएफआर की योजना को मंजूरी मिल जाए या फिर कंपनी दोबारा उत्पादन शुरू कर दे। हम बीआईएफआर की मंजूरी को सेबी को भेजने की प्रक्रिया में हैं, ताकि कंपनी के शेयरों में लेन-देन को शुरू किया जा सके।’
अगस्त 2001 में, मोदी रबर की तीन इकाइयां मोदीपुरम, मोदीनगर और परतापुर में हड़ताल के बाद वे बंद हो गई, जिसके पीछे पैसों की कमी एक बड़ी वजह थी। इसके बंद होने से पहले, मोदी रबर 14 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी के साथ एक बड़ी टायर उत्पादक कंपनी थी। तब कंपनी की सालाना क्षमता 11 लाख टायर उत्पादन की थी।