इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) कुछ टीमों के लिए ही धन की वर्षा कर सकता है। लेकिन आईपीएल की सभी टीमों के मालामाल होने में दो से तीन साल का वक्त लग सकता है।
मुंबई की शोध फर्म अलकेमी शेयर ऐंड स्टॉक ब्रोकर्स के यास्मीन शाह के मुताबिक दर्शकों की संख्या में हुए इजाफे के कारण अगले सत्र के लिए विज्ञापन दरों में 40 से 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) की दैन आईपीएल ने अपने पहले सत्र में विज्ञापनों से 300 करोड़ रुपये की राशि जुटाई।
टीमों के फ्रेंचाइजी के पास अब राजस्व का एक और हथियार होगा। यह हथियार है खेल के अधिकारों से राजस्व हासिल करना। हालांकि ये अधिकार अभी तक बेचे नहीं गए हैं। ऐसे अधिकारों की बिक्री से आने वाला किसी भी तरह के राजस्व को फ्रेंचाइजी के बीच विभाजित किया जाएगा।
फ्रेंचाइजी को मिलने वाली राशि तकरीबन 3113 करोड़ रुपये होगी। शहर के आधार पर प्रत्येक क्लब को 288 करोड़ रुपये से 481 करोड़ रुपये में बेचा जा रहा है। टीमों को खरीदने के अलावा प्रत्येक फ्रेंचाइजी ने अपनी टीम के लिए खिलाड़ियों की खरीद पर 25 से 30 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस खरीदारी खर्च में भी प्रति वर्ष 30 फीसदी का इजाफा होने की संभावना है।
कुल विज्ञापन कमाई में खेल चैनलों की राजस्व भागीदारी 9 फीसदी रही है। अकेले आईपीएल ने टेलीविजन विज्ञापनों से 300 करोड़ रुपये कमाए। लीग ने दो करोड़ से अधिक दर्शकों को आकर्षित किया जिनमें में प्रमुख महानगरों में 82 लाख महिला दर्शक भी शामिल हैं। इसने आईटीसी, मदर डेयरी, नेस्ले, पिज्जा हट और सिप्ला जैसी नई एफएमसीजी कंपनियों को भी अपने साथ जोड़ा। जनवरी और मार्च के बीच कर प्लान पर विज्ञापन देने वाली बीमा कंपनियां आईपीएल के दौरान बड़े विज्ञापनदाताओं में से एक हैं।
दर्शकों की संख्या में इजाफा होने से भी विज्ञापन दरों में उछाल देखा गया। शुरू में विज्ञापनों की दर 10 सैकेंड के लिए 2 लाख रुपये से 2.5 लाख रुपये थी और सेमी-फाइनल के लिए यह बढ़ कर 3 लाख से 3.5 लाख रुपये हो गई। इसी तरह फाइनल मुकाबलों के लिए यह 7 लाख रुपये से 10 लाख रुपये रही। सूत्रों के मुताबिक अगले सत्र के लिए बातचीत पहले ही शुरू हो गई है। विज्ञापनदाता अगले सत्र के मैचों के दौरान विज्ञापनों के लिए 50 फीसदी अधिक राशि चुकाने को तैयार हैं।
रिटेल चेन, डायरेक्ट टु होम (डीटीएच) और बुनियादी ढांचागत निर्माण कंपनियों के मुख्य प्रायोजकों के तौर पर उभर कर सामने आने की उम्मीद है। कुछ फ्रेंचाइजी प्रायोजन के जरिये अपने ब्रांडों को चमकाने की योजना बना रहे हैं तो कुछ अन्य फ्रेंचाइजी इसमें वित्तीय निवेश के रूप में अवसर तलाश रहे हैं। प्रायोजन दरों में भी 30 से 40 फीसदी का इजाफा होने की उम्मीद है। फिल्म अभिनेता शाहरुख खान की कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के पास आठ प्रायोजक हैं और सामूहिक रूप से इन प्रायोजकों का राजस्व तकरीबन 35 करोड़ रुपये है। आगामी लीग में इसमें 30 से 40 फीसदी का इजाफा होने का अनुमान है। इस अभिनेता ने यह टीम तकरीबन 322 करोड़ रुपये में खरीदी।
इंडिया सीमेंट्स की चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके)के लिए प्रमुख प्रायोजक एयरसेल ने प्रायोजन पर 15 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है जिसमें टोपी, शर्ट सेंटर और 6 इन-स्टेडियम बोर्ड पर खर्च की जाने वाली राशि भी शामिल है। इंडिया सीमेंट्स के वाइस-चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एन. श्रीनिवासन ने हाल ही में कहा था कि आईपीएल के जरिये पूरे देश में फ्रेंचाइजी की ब्रांड पहचान मजबूत हुई है। इंडिया सीमेंट से जुड़ी कुछ कंज्यूमर गुड्स कंपनियों ने भी इस आईपीएल फ्रेंचाइजी के साथ अपने उत्पादों की को-ब्रांडिंग में दिलचस्पी दिखाई है।