जगुआर और लैंडरोवर जैसे नामी कार ब्रांडों के अधिग्रहण का काम पूरा किए टाटा मोटर्स को अभी एक दिन भी नहीं बीता था कि कंपनियों की साख तय करने वाली अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने उसे करारा झटका दे दिया।
कंपनी ने टाटा मोटर्स की कॉर्पोरेट फैमिली रेटिंग बीए 1 से घटाकर बीए 2 कर दी। मूडीज ने रेटिंग में यह कटौती जगुआर-लैंड रोवर का अधिग्रहण पूरा होने की औपचारिक घोषणा के अगले दिन ही की है। जनवरी 2008 में जब टाटा मोटर्स को जगुआर-लैंडरोवर के अधिग्रहण की होड़ में अव्वल बताया गया था, तभी से मूडीज ने उसकी रेटिंग की समीक्षा शुरू कर दी थी। कंपनी की साख के लिए फिलहाल नकारात्मक माहौल बताया गया है।
मूडीज के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ विश्लेषक क्रिस पार्क ने कहा, ‘साख में आए बदलाव से साफ पता चलता है कि इतने बड़े सौदे को कामयाबी के साथ पूरा करने में टाटा मोटर्स को दिक्कतें आएंगी। खास तौर पर ऐसी कंपनियों को खरीदना, जो हाल ही में बमुश्किल मुनाफे में आई हों, साख तो घटाएगा ही। इसी की वजह से टाटा मोटर्स की वित्तीय तस्वीर भी खराब हुई है।
यह बात दीगर है कि टाटा मोटर्स का भविष्य का प्रदर्शन जगुआर-लैंड रोवर के ही हाथों में रहेगा। अगर दोनों कंपनियां मुनाफा कमाती रहती हैं, तो टाटा मोटर्स की वित्तीय साख सुधर सकती है।’ मूडीज ने अपने बयान में कहा कि भारतीय बाजार में टाटा मोटर्स की साख बहुत अच्छी है। लेकिन इस अधिग्रहण से उसका असली इम्तहान होगा। इसीलिए फिलहाल तो टाटा मोटर्स का कारोबारी प्रोफाइल खतरे में पड़ ही गया है।
हालांकि मूडीज ने साफ तौर पर कहा कि कुछ अरसे बाद इन दोनों ब्रांडों के शानदार प्रदर्शन से टाटा मोटर्स की रेटिंग में सकारात्मक परिवर्तन हो सकता है। लेकिन हालिया भविष्य में तो कंपनी के ऊपर अनिश्चितता के बादल ही घिरे हुए हैं। टाटा मोटर्स लगभग 9,200 करोड़ रुपये के इस अधिग्रहण के लिए चरणों में रकम इकट्ठा कर रही है। इसमें ब्रिज लोन से लेकर इक्विटी और तमाम दूसरे विकल्पों का इस्तेमाल किया जा रहा है।