सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय से बनी कंपनी नेशनल एविएशन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसीआईएल) ने विमान ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण अपनी कार्यशील पूंजी बढ़ाकर 9,500 करोड़ रुपये करने का फैसला किया है।
हालांकि ऐसा करने से कंपनी के मुनाफे पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘ अभी यह कीमतें जुलाई से सितंबर तक तीन महीने के लिए ही बढ़ाई गई हैं। तेल की कीमतें बढ़ने और बाजार में नकदी की कमी से उबरने के लिए यह फैसला किया गया है।’
अधिकारी के मुताबिक यह दूसरी बार है जब पिछले साल नवंबर में विलय के बाद एयर इंडिया ने अपनी कार्यशील पूंजी में इजाफा किया है। सूत्रों के अनुसार विलय के बाद दोनों कंपनियों की कार्यशील पूंजी लगभग 6,500 करोड़ रुपये थी। बाद में इसे बढ़ाकर 8,000 करोड़ रुपये किया गया और अब इसे 9,500 करोड़ रुपये कर दिया गया है। माना जा रहा है कि हाल ही में राष्ट्रीय विमानन कंपनी ने उड्डयन मंत्रालय को कंपनियों के विलय की समीक्षा को लेकर हुई बैठक में बढ़ते खर्च के बारे में जानकारी दी थी।
कंपनी ने बताया था कि कंपनी की बढ़ती लागत के लिए ऋण पर बढ़ती ब्याज दर भी काफी हद तक जिम्मेदार है। एक तरफ जहां विमान ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण कंपनी के ईंधन बिल में पिछले वित्त वर्ष लगभग 410 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। वहीं ऋण पर ब्याज दर बढ़ने से कंपनी के ऊपर लगभग 378 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ा है।