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नाल्को लगाएगी 14,000 करोड़ रुपये

Last Updated- December 06, 2022 | 9:45 PM IST

एल्युमीनियम क्षेत्र की प्रमुख कंपनी नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (नाल्को) 14,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से झारसुगुडा के पास एक एल्युमीनियम स्मेल्टर और कैप्टिव विद्युत संयंत्र स्थापित करने की संभावना तलाश रही है।


1250 मेगावाट की उत्पादन इकाई के साथ प्रस्तावित स्मेल्टर की क्षमता 5 लाख टन प्रति वर्ष है। परियोजना के लिए एल्युमीनियम की आपूर्ति दमनजोडी में नाल्को की मौजूदा रिफाइनरी से किए जाने की योजना है।


इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल) को संभाव्यता-पूर्व अध्ययन के लिए सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया गया है और इसने परियोजना को तकनीकी रूप से पूरी तरह फिट पाया है। ईआईएल ने कंपनी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।


इस संयंत्र के लिए झारसुगुडा को संभावित जगह के रूप में चुना गया है। झारसुगुडा के समीप इब वैली कोयला भंडार मौजूद हैं। कंपनी को इस परियोजना के लिए तकनीकी, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में किसी तरह की मुश्किल पैदा होने की आशंका नहीं है। अधिग्रहण के लिए चिन्हित की गई भूमि में से अधिकांश सरकारी भूमि और बंजर भूमि है।


वैसे कंपनी ने परियोजना के लिए कोयला ब्लॉक से इनकार कर दिया है, लेकिन केंद्रीय कोयला मंत्रालय (एमओसी) ने कंपनी को महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) की खदानों से लंबे समय तक कोयला मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।


वैसे जल की उपलब्धता इस परियोजना की सफलता के रास्ते में एक गंभीर समस्या खड़ी कर सकती है। हालांकि सलाहकार कंपनी ने अपनी संभाव्यता-पूर्व रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि इसके लिए आईबी नदी से जल की आपूर्ति की जा सकेगी, लेकिन इलाके में किसानों के विरोध को देखते हुए यह विकल्प इतना आसान नहीं हो सकता। ये किसान हीराकुड जलाशय से उद्योगों के लिए पानी दिए जाने के खिलाफ हैं।


नाल्को के निदेशक (फाइनेंस) बी. एल. बागरा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमने 9 लाख टन अधिशेष एल्युमीनियम के लिए झारसुगुडा में एक स्मेल्टर और कैप्टिव पावर प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है। लेकिन यह परियोजना जल की उपलब्धता पर निर्भर करेगी।’


इस बीच सरकार के स्वामित्व वाले इंडस्ट्रियल प्रोमोशन ऐंड इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ उड़ीसा लिमिटेड (इपीकोल) ने आईबी नदी से जल के लिए जल संसाधन विभाग को आवेदन भेजा है। अधिकारियों के मुताबिक प्रस्तावित संयंत्र के लिए नदी से मुहैया कराया जाने वाला जल राज्य सरकार की प्राथमिकता पर निर्भर करेगा।


इसके अलावा कंपनी दक्षिण अफ्रीका और ईरान जैसे देशों में स्मेल्टर संयंत्रों की स्थापना के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है। कंपनी के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधि मंडल ने वहां एक संयंत्र की स्थापना की संभावना तलाशने के लिए हाल ही में दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया था, लेकिन इसे अभी तक निर्णायक रूप नहीं दिया गया है।


कंपनी ने दक्षिण अफ्रीका में 5 लाख टन प्रति वर्ष की क्षमता वाले स्मेल्टर और दो चरणों में 1,260 मेगावाट के कैप्टिव बिजली संयंत्र की स्थापना करने की योजना बनाई है। इसी तरह ईरान में भी कंपनी एक स्मेल्टर और गैस आधारित विद्युत संयंत्र की स्थापना करने जा रही है। कंपनी ने अल्फा के प्रमुख भागीदार केर्मन डेवलपमेंट ऑर्गनाईजेशन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

First Published - May 7, 2008 | 12:09 AM IST

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