ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट (Flipkart) का घाटा कम करने के लिए उसकी पैरेंट कंपनी वालमार्ट इंडिया (Walmart India) ने शेयर कैपिटल में कटौती करने का फैसला किया है। इसके लिए वॉलमार्ट ने कंपनीज एक्ट, 2013 के सेक्शन 66 और 52 का हवाला देते हुए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) का दरवाजा खटखटाया है।
क्या है शेयर कैपिटल में कटौती
शेयर कैटिपटल में कटौती एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिए कंपनी अकम्युलेटेड लॉसेज को एडजस्ट करने या इन्हें खत्म करने, शेयरहोल्डर्स को पूंजी लौटाने या कंपनी के कैपिटल स्ट्रक्चर को एडजस्ट करती है। अकम्यूलेटेड लॉसेज यानी पिछले वर्षों का कुल मिलाकर घाटा।
वालमार्ट को मौजूदा शेयरहोल्डर्स से जो शेयर प्रीमियम मिला है, उससे इकट्ठे हुए घाटे को पाटने के लिए ही कंपनी एनसीएलटी पहुंची है। यह मामला एनसीएलटी में 8 अगस्त को सुनवाई के लिए पहुंचा था और ट्रिब्यूनल ने इसे अगले हफ्ते तक के लिए स्थगित कर दिया।
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क्या कहता है Companies Act सेक्शन 52 और 66?
वालमार्ट ने कंपनीज एक्ट के सेक्शन 52 और 66 को तहत एनसीएलटी में याचिका दायर किया है। सेक्शन 52 के तहत यह प्रावधान है कि जब कोई कंपनी प्रीमियम पर शेयर जारी करती है, तो उसे भविष्य की तारीख में शेयर कैपिटल में कमी के लिए प्रीमियम के बराबर राशि को “सिक्योरिटीज प्रीमियम अकाउंट” में ट्रांसफर करने का अधिकार है।
वहीं सेक्शन 66 के तहत किसी कंपनी को एनसीएलटी की सहमति से अपनी शेयर कैपिटल कम करने की अनुमति मिलती है। इसके लिए ट्रिब्यूनल को कंपनी रजिस्ट्रार (RoC), केंद्र सरकार और लिस्टेड कंपनी के बारे में सेबी को नोटिस जारी करना होगा।
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इस मामले में फ्लिपकार्ट ने मनीकंट्रोल के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘कंपनी एक्ट, 2013 के नियमों के तहत और कंपनी के बोर्ड और शेयरधारकों की सहमति से वॉलमार्ट इंडिया ने शेयर कैपिटल में कटौती करने का प्रस्ताव दिया है।’