अपने सालाना ब्रांड ट्रैक और ग्राहक संतुष्टि सूचकों के परिणामों से शॉपर्स स्टॉप के मुख्य कार्यकारी गोविंद श्रीखंडे मानते हैं कि प्रतिस्पर्धा में आगे बने रहने के लिए यह पर्याप्त नहीं है।
उनके ग्राहकों की ओर से उन्हें कई बार ये संकेत मिले हैं कि शॉपर्स स्टॉप ब्रांड भारतीय अर्थव्यवस्था, कॉर्पोरेट क्षेत्र और अपने ग्राहकों के क्रमिक विकास के साथ पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है।
श्रीखंडे ने कहा, ‘तब हमने ‘ट्रायल रूम’ नाम से एक विशेष कार्यशाला की शृंखला शुरू की जिसने हमारे ग्राहकों की सोच को अभिव्यक्त किया जो ब्रांड में बदलाव की जरूरत महसूस करते हैं। 18 महीने पहले हमने ‘स्टार्ट समथिंग न्यू’ की नई धारणा के साथ रीब्रांडिंग की प्रक्रिया शुरू की। इसके साथ ही हमने शॉपर्स स्टॉप को एक प्रमुख रिटेलर से एक लग्जरी रिटेलर के रूप में पहचान दिलाने की कवायद शुरू की।’
संचार उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय कॉरपोरेट क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, विलय और अधिग्रहण जैसी गतिविधियों ने अधिकांश कंपनियों को रीब्रांडिंग के लिए प्रेरित किया है। वर्ष 2008 में चार प्रमुख कंपनियों ने रीब्रांडिंग का रास्ता चुना है। पहले चार महीनों में एयर डेक्कन, शॉपर्स स्टॉप, गोदरेज सूमह और सिएट ने रीब्रांडिंग का दामन थामा है।
इन सभी कंपनियों के लिए रीब्रांडिंग न केवल लोगो में बदलाव करने तक सीमित है बल्कि ये नई व्यापार रणनीति और उपभोक्ता के साथ संवाद के लिए नए तरीकों को अपना रही हैं। किंगफिशर एयरलाइंस के साथ विलय केबाद एयर डेक्कन की रीब्रांडिंग अनिवार्य थी। वहीं शॉपर्स स्टॉप के लिए रीब्रांडिंग आधुनिकीकरण की जरूरत का परिणाम है। टायर निर्माण क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सिएट भी रीब्रांडिंग की होड़ में शामिल हो गई है।
संचार परामर्श फर्म क्लोरोफिल के संस्थापक आनंद हैल्व ने बताया, ‘अक्सर कंपनियां अपने लोगो बदलने पर महत्व देती रही हैं। सही रीब्रांडिंग तभी मानी जाती है जब कंपनियां अपने उपभोक्ताओं को नए अनुभव के साथ अपने उत्पाद या सेवाएं मुहैया कराने में सफल रहती हैं।’ रीब्रांडिंग के चलन के बाद से ग्राहकों को प्रभावित करने वाले विभिन्न पहलुओं में बदलाव आ रहा है।
विभिन्न कंपनियां विविध कार्यों के लिए आगे आ रही हैं। इससे ब्रांड कंसल्टेंटों और एजेंसियों के लिए व्यापार के विशाल अवसर पैदा हुए हैं। गोदरेज समूह ने ब्रिटेन की ब्रांड कंसल्टेंसी फर्म ब्रांड फाइनेंस की ओर से समूह के लिए एक ब्रांड निर्धारण के प्रयोग से प्रेरित होकर रीब्रांडिंग का रास्ता अपना लिया।
इस प्रयोग से यह तथ्य सामने आया कि इसके ब्रांडों की पोटेंशियल वैल्यू इसकी मौजूदा वैल्यू की तुलना में काफी अधिक है। इसके बाद समूह ने अपनी पोर्टफोलियो रणनीति में सुधार किया और अपने ब्रांड की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए इसने ‘इंटरब्रांड’ नाम से एक और ब्रांड कंसल्टेंसी फर्म नियोजित की।
आठ वर्ष पहले ‘टाटा कॉफी’ में उपाध्यक्ष की नौकरी छोड़ने के बाद हरीश बिजूर कंसल्ट्स नाम से अपनी फर्म खोलने वाले हरीश बिजूर भी यह महसूस करते हैं कि भारत में रीब्रांडिंग की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है और इससे कंसल्टेंट आदि के लिए कारोबार के ढेरों अवसर पैदा हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘बड़ी संख्या में कंपनियां रीब्रांडिंग के बारे में सलाह हासिल करने के लिए हमसे संपर्क कर रही हैं।’