एनएमडीसी स्पाइस इंटरनैशनल, सरकारी खनन कंपनी एनएमडीसी और स्पाइस मिनरल्स और मैटल्स की 50:50 संयुक्त उपक्रम कंपनी, जल्द ही आर्मेनिया के दो लौह अयस्क भंडारों को लगभग 2,173 करोड़ रुपये के निवेश के जरिये खरीद सकती है।
स्पाइस मिनरल्स और मेटल्स स्पाइस एनर्जी समूह की ही एक कंपनी है। एनएमडीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक राणा सोम का कहना है कि दो लौह अयस्क के भंडारों की पहचान की गई है, जिसमें लगभग 30 करोड़ टन और 7.5 करोड़ टन का भंडार मौजूद है और इस बारे में अंतिम बातचीत इस सप्ताह के अंत में हो सकती है। ये भंडार मैगनेटाइट के हैं, जिनमें 30 प्रतिशत के करीब लौह अयस्क है।
सोम का कहना है कि यह भंडार मैगनेटाइट के हैं, इसमें निवेश अधिक होगा, क्योंकि ये अधिक लाभकारी होगी। इसमें एनएमडीसी और स्पाइस समूह बराबर निवेश करेंगे। उनका कहना है, ‘हम इनकी गोलियां बना कर इन्हें पोती बंदरगाह के जरिये भारत में ले आएंगे। इस परियोजना को रेल से भी जोड़ा जाएगा।’ उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि इस परियोजना से कुछ राहत मिलेगी और भारतीय बाजार में लौह अयस्क की उपलब्धता में सुधार होगा।
इस परियोजना से भारत का 2020 तक 30 करोड़ टन इस्पात की क्षमता का लक्ष्य पूरा करने में मदद मिलेगी, जिसके लिए 30 वर्ष की अवधि के लिए लगभग 1400 करोड़ टन के बराबर लौह अयस्क के भंडारों की जरूरत होगी। भारत में कुल 2358.8 करोड़ टन लौह अयस्क के भंडार होने की संभावना व्यक्त की गई है और उसमें से 631.1 करोड़ टन के भंडार का पता लग चुका है। एनएमडीसी निजी क्षेत्र में जेएसडब्ल्यू स्टील, एस्सार स्टील, इस्पात इंडस्ट्रीज और सार्वजनिक क्षेत्र में राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड को लौह अयस्क सप्लाई करने वाली प्रमुख कंपनी है।
एनएमडीसी छत्तीसगढ़ में अपनी बेलाडिला खदानों और कर्नाटक में डोनीमलाई खदानों से लगभग 3 करोड़ टन लौह अयस्क का उत्पादन करती है। सोम का कहना है, 7.5 करोड़ टन वाले भंडार का पूरा पता लगा चुके हैं। ये भंडार निजी कंपनियों के पास हैं। अगर यह अधिग्रहण होता है तो यह पिछले महीने घोषित की गई नई संयुक्त उपक्रम कंपनी का पहला अधिग्रहण होगा। एनएमडीसी ने अन्य 35 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में से स्पाइस को चुना था। यह संयुक्त उपक्रम कंपनी भारत से बाहर धातु और खनिज परियोजनाओं की योजना, अधिग्रहण, विकास और प्रबंध का काम करेगी।
सोम का कहना है कि कंपनी कोंगो में हेमाटाइट (उच्च श्रेणी वाला लौह अयस्क), जिसकी पहचान की जा चुकी है, पर भी विचार कर रही है। इस संयुक्त उपक्रम के गठन से पहले एनएमडीसी कनाडा की न्यू मिलेनियम कैपिटल के साथ 350 करोड़ रुपये की एक परियोजना पर बातचीत कर रही थी। एनएमडीसी ने इस परियोजना के लिए बोली में भाग न लेने का निर्णय लिया, क्योंकि यह लंबी अवधि वाली परियोजना थी और भारत में लौह अयस्क लाना भी काफी मुश्किल हो रहा था।
लौह अयस्क से मिलेगी मजबूती
7.5 करोड़ टन वाले भंडार का पूरा पता लगाया जा चुका है, जो संयुक्त उपक्रम कंपनी का पहला अधिग्रहण हो सकता है
50:50 की भागीदारी वाली कंपनी की इस खरीद से भारतीय बाजार में लौह अयस्क की उपलब्धता में होगा सुधार