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बिक्री के मामले में नोवार्तिस की वोवरैन पहले पायदान पर दोबारा काबिज

Last Updated- December 06, 2022 | 9:41 PM IST

नोवर्तिस इंडिया की प्रमुख दर्द निवारक दवा वोवेरैन, घरेलू बाजार में बिकने वाली सबसे बड़ी दवा बन चुकी है।


मार्च 2008 में इसकी बिक्री 11 करोड़ रुपये से भी अधिक थी और इस दवा ने फाइजर इंडिया के खांसी और सर्दी के सिरप कोरेक्स को भी उसके पहले पायदान से हटा दिया। गौरतलब है कि इस माह में कोरेक्स की बिक्री 10 करोड़ रुपये रही।


ओआरजी-आईएमएस, मार्केट रिसर्च एजेंसी की ओर से मार्च 2008 के लिए दिए गए आंकड़ों के अनुसार सिप्ला का अभी भी बाजार में दबदबा कायम है। घरेलू फार्मास्युटिकल की सबसे बड़ी कंपनी के रूप में रैनबैक्सी लैबोरेटरीज को दरकिनार करते हुए कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 5.24 प्रतिशत रही।


वोवेरैन जो वर्ष 2007 में ज्यादा समय के लिए बाजार में पहले पायदान पर थी, पिछले कुछ समय में उसे उसके स्थान से कोरेक्स ने हिला दिया था। ओआरजी आईएमएस के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से नवंबर 2007 के बीच वोवेरैन 125 करोड़ रुपये की बिक्री के साथ पहले पायदान पर खड़ा ब्रांड था और उसके बाद कोरेक्स 124 करोड़ रुपये की बिक्री के साथ दूसरे और हिमालया की आयुर्वेदिक दवा लिव-52 105 करोड़ रुपये की बिक्री से बाजार में तीसरे पायदान पर कायम थी।


नवंबर 2007 के लिए आंकड़ों के मुताबिक फाइजर का खांसी का सिरप कोरेक्स 15.2 करोड़ रुपये की बिक्री के साथ प्रमुख ब्रांड बना हुआ था और वोवरैन की मासिक बिक्री 11.6 करोड़ रुपये थी। ओआरजी-आईएमएस, भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र पर केन्द्रित सबसे बड़ी बाजार सर्वेक्षण कंपनी, मासिक आधार पर घरेलू फार्मा कंपनियों की बिक्री का हिसाब रखती है।


एजेंसी के आंकड़ों के अनुसार 9 करोड़ रुपये बिक्री के साथ नोवो नॉर्डिस्क का ह्यूमन मिक्सटार्ड 3070 मार्च 2008 में सबसे बड़ा दवा ब्रांड था। अन्य प्रमुख 10 दवा ब्रांड जो कुछ पायदान ऊपर आ गए हैं, उनमें एल्केम लैबोरेटरीज का एंटी बायोटिक टैक्सिम (4), फाइजर का बीकासूल्स, रैनबैक्सी का एंटी इन्फेक्टिव मॉक्स और एफडीसी का एंटीबायोटिक  जिफी और लिव-52 शामिल हैं।


सिप्ला ने रैनबैक्सी और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन इंडिया को पार करते हुए सबसे पहले मई 2007 में घरेलू बाजार में सबसे बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनी बनी। विश्लेषकों का कहना है कि सिप्ला की वृध्दि में सबसे बड़ा हाथ उसके बड़े घरेलू उत्पाद पोर्टफोलियो, खासतौर पर सांस की बीमारियों से जुड़े उत्पादों का है। रैनबैक्सी की वृध्दि के पीछे दर्जन भर से भी अधिक नए उत्पादों की लॉन्च और पुरानी चिकित्सा कारोबार कारण रहे।


सिप्ला 31 मार्च 2008 को समाप्त हुई तिमाही में पिछले तिमाही के मुकाबले 13.2 प्रतिशत की वृध्दि के साथ राजस्व 452.48 करोड़ रुपये रहा। कंपनी का घरेलू राजस्व वित्तीय वर्ष 2007-08 के लिए 13.4 प्रतिशत के साथ बढ़कर 1,986.72 करोड़ रुपये हो गया।


रैनबैक्सी के सूत्रों के अनुसार, कंपनी ने घरेलू बाजार में दिसंबर 2007 से फरवरी 2008 के बीच 23 प्रतिशत वृध्दि की है और पिछले वर्ष की समान अवधि में 4.82 प्रतिशत के मुकाबले बाजार हिस्सेदारी बढ़ाकर 5.05 प्रतिशत कर ली है। मैनकाइंड फार्मास्युटिक्ल्स जो फरवरी 2008 में प्रमुख 10 कंपनियों की सूची में नई-नई शामिल हुई है, मार्च में 9वें पायदान पर पहुंच गई।


सेहत का सवाल


वोवरैन की बिक्री मार्च 2008 में 11 करोड़ रुपये और जनवरी से नवंबर 2007 में 125 करोड़ रुपये
खांसी और सर्दी का सिरप कोरेक्स की मार्च 2008 में 10 करोड़ रुपये की बिक्री

First Published - May 5, 2008 | 11:10 PM IST

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