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‘रेस में बने रहने के लिए नंबर वन का लक्ष्य जरूरी’

Last Updated- December 05, 2022 | 10:01 PM IST

हैदराबाद स्थित जगती पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. राजशेखर रेड्डी के बेटे वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी आजकल सुर्खियों में हैं।


करीब 20 दिनों पहले उनके पब्लिकेशन ने तेलगू में ‘साक्षी’ अखबार का प्रकाशन शुरू किया है। हालांकि इस अखबार को राजशेखर रेड्डी के विरोधी मुख्यमंत्री का मुखपत्र और जगन मोहन को बच्चा तक करार दे चुके हैं। हालांकि वह इस आलोचना को भी काफी सहज भाव से लेते हैं।


जिम में रोज डेढ़ घंटा बिताने वाले जगन दिखने में अपनी वास्तविक उम्र (35 साल) से कम नजर आते हैं। वह अपने अखबार को मिल रहे रिस्पॉन्स से काफी खुश हैं। हमारी संवाददाता शुचि बंसल ने जगन मोहन की बिजनेस योजनाओं के बारे में उनसे तफसील से बात की।


आपने अपने अखबार के 23 संस्करणों को एक साथ शुरू किया है। साथ ही आप 12 लाख 80 हजार प्रतियां भी छाप रहे हैं। इतने बड़े पैमाने पर अखबार शुरू करने की क्या वजह है?
अगर आप किसी राज्य में अपनी पैठ बनाना चाहते हैं तो आपको नंबर वन बनने के इरादे के तहत योजना तैयार करनी होगी। अगर आप यह लक्ष्य तय नहीं करते, तो आप दौड़ में भी नहीं बने रह सकते।


आपने 12 लाख 80 हजार के आंकड़े का प्रबंधन कैसे किया?
यह हमारा प्रिंट ऑर्डर है। फिलहाल हमारे पास अखबार के 11 लाख 60 हजार नियमित ग्राहक हैं। हमने इस बाबत प्रक्रिया अक्टूबर में ही शुरू कर दी थी और मार्केट रिसर्च में हमारे 3 हजार लोग जुटे हुए थे। इसके तहत काम कर रहे लोगों ने 40 लाख लोगों से संपर्क कर कुछ बुनियादी सवाल पूछे?


इन सवालों के जवाब के आधार पर 25 लाख संभावित ग्राहकों की पहचान की गई। इन लोगों से जनवरी में फिर संपर्क किया गया और उन्हें  चमकदार कैलंडर बांटे गए। इनमें से 11 लाख 60 हजार लोगों ने हमारे अखबार से जुड़ने का फैसला किया।


आप अखबार की रकम वसूली को कैसे सुनिश्चित करेंगे?
हमारे 8,300 एजेंट्स रकम वसूली का काम सुनिश्चित करेंगे।ये लोग पहले ही एक महीने की रकम अदा कर चुके हैं।


आपके पास कई अन्य बिजनेस हैं। मीडिया की तरफ आपके रुझान की क्या वजह रही?
पैसा और अवसर। हमारा प्रतिद्वंद्वी अखबार ‘इनाडू’ राज्य मे नबंर वन अखबार था और बाजार में उसे कड़ी चुनौती देने वाला कोई नहीं था। इस अखबार को काफी पहले अपना डिजाइन में बदलाव करना चाहिए था। इसके तहत सभी पन्नों को भी रंगीन करने की जरूरत थी। ‘इनाडू’ द्वारा ऐसा नहीं करने की वजह से आंध्र प्रदेश के अखबार बाजार में एक खालीपन था, जिसकी वजह से हमें इसमें पूरी संभावना नजर आई।


लेकिन आपको रोजाना 1 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ रहा है।  
मैं कहूंगा कि हम रोज 1 करोड़ रुपये निवेश कर रहे हैं। यह इस बात को कहने का बेहतर तरीका होगा। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमें नुकसान झेलना पड़ रहा है। मुझे उम्मीद है कि एक साल बाद हम न लाभ न हानि की स्थिति में पहुंच जाएंगे।


‘साक्षी’ को शुरू करने से पहले ही इसका मूल्यांकन 3 हजार करोड़ रुपये किया गया। ऐसा किस तरह हुआ?
‘इनाडू’ का मूल्यांकन 4,600 करोड़ रुपये किया गया है। ‘इनाडू’ अखबार को छोड़कर इस ग्रुप की बाकी सभी कंपनियां घाटे में चल रही हैं। शायद ईटीवी तेलगु हल्के मुनाफे की हालत में चल रही है। इसके बावजूद कंपनी का मूल्यांकन 4,600 करोड़ रुपये किया गया है। ऐसा इसलिए कि यह आंध्र प्रदेश का नंबर वन अखबार है और इसकी प्रसार संख्या 11 लाख 40 लाख है। अगर ऐसा है तो 12 लाख की प्रसार संख्या वाले अखबार का मूल्यांकन तीन हजार करोड़ रुपये क्यों नहीं हो सकता।


क्या आपकी अंग्रेजी अखबार के बाजार में उतरने की योजना है?
अंग्रेजी अखबार के लिए कुछ अलग तरह का ऑफर तैयार करना पड़ेगा। अंग्रेजी के सभी अखबार पहले से ही पूरी तरह रंगीन हैं। साथ ही इनकी कीमत भी काफी कम है। इसके अलावा अंग्रेजी अखबारों की प्रसार संख्या 3 से 4 लाख से ज्यादा नहीं हो सकती।

First Published - April 18, 2008 | 12:49 AM IST

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