विमान ईंधन (एटीएफ) की कीमतों में बढ़ोतरी से परेशान देश का विमानन उद्योग चाहता है कि तेल विपणन कंपनियां तेल कीमतों में रियायत दें। लेकिन कंपनियां अपने मार्जिन में गिरावट का रोना रो रही हैं।
तेल कंपनियों का कहना है कि उनका मार्जिन 6-8 फीसदी से घट कर 3-5 फीसदी रह गया है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) के मार्जिन में कमी आई है। ये कंपनियां अधिकांश एयरलाइनों और रक्षा बलों को 2-4 फीसदी की रियायत पर तेल की बिक्री कर रही हैं।
आईओसी के विपणन निदेशक जीसी डागा ने कहा, ‘हम तेल की बिक्री पर रियायत दे रहे हैं अन्यथा कोई भी हमारा तेल नहीं खरीदेगा और इससे हमारी रिफाइनरी पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इससे रिफाइनरी का इस्तेमाल घटेगा।’ आईओसी की ओर से बेचे जाने वाले तेल का आधा हिस्सा देश में ही खपाया जाता है। विमानन ईंधन उन 10 पेट्रोलियम उत्पादों में से एक है जिनके मूल्य में रियायत नहीं दी गई है। नैप्था, ईंधन तेल, बिटुमेन और ल्यूब ऑयल सबसे ज्यादा बिक्री वाले गैर-रियायत वाले तेल उत्पाद हैं।
गैर-रियायत वाले तेल उत्पादों का तीनों तेल विपणन कंपनियों की कुल बिक्री में तकरीबन 35 फीसदी का योगदान है। हालांकि मूल्य के संदर्भ में इन उत्पादों की बिक्री भागीदारी 25 फीसदी है जो कुछ साल पहले तक तकरीबन 30 फीसदी थी। एचपीसीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘वैसे, रियायत के कारण पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें ईंधन तेल जैसे गैर-रियायत वाले उत्पादों की तुलना में लगभग दोगुनी हो गई हैं।’ कंपनियां विभिन्न गैर-रियायती पेट्रोलियम उत्पादों पर रियायत देती हैं।
एचपीसीएल के विपणन निदेशक एस. रॉय चौधरी ने बताया, ‘प्रतिस्पर्धा में बने रहने और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस तरह की छूट देना जरूरी है।’ आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल रियायती मूल्य पर पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और कुकिंग गैस की बिक्री करती हैं जिसका इनकी कुल बिक्री में 65 फीसदी का योगदान है। इन तेल उत्पादों को रियायती दरों पर बेचने के कारण इन कंपनियों को रोजाना तकरीबन 760 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है। 2007-08 में भारत में 7.929 करोड़ टन पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और रसोई गैस तथा 4.994 करोड़ टन गैर-सब्सिडी वाले उत्पादों की खपत हुई।