देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून की बारिश से लोगों को भले ही राहत मिलने वाली है लेकिन जेठ (जून) का महीना सरकारी तेल कंपनियों पर भारी पड़ेगा।
इस दौरान तेल कंपनियों को डीजल की बिक्री पर सबसे अधिक घाटा उठाना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि पेट्रोलियम उत्पादों की कुल बिक्री में डीजल की करीब 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
दूसरी ओर विश्लेषकों का कहना है कि यदि डीजल की कीमतों में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई तो महंगाई में करीब 20 आधार अंकों की बढ़ोतरी हो सकती है। यदि सब्सिडी का सहारा न हो तो उपभोक्ताओं को पेट्रोलियम उत्पादों को लिए दोगुना भुगतान करना पड़ सकता है।
पुडुचेरी पर पड़ी पहली मार
तेल की किल्लत का असर सबसे पहले केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में सोमवार को देखने को मिला। सूत्रों के मुताबिक रविवार से ही तेल की आपूर्ति बंद है, जिसकी वजह से पेट्रोल पंपों पर तेल की कमी हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि मंगलवार को तेल पहुंच जाएगा।
कितनी बढ़ोतरी की है मांग (रुपये प्रति लीटर)
पेट्रोल डीजल
मौजूदा अपेक्षित मौजूदा अपेक्षित
दिल्ली 45.52 66.95 31.76 63.34
कोलकाता 48.95 70.38 33.92 65.50
मुंबई 50.51 71.94 36.08 67.66
चेन्नई 49.61 71.04 34.40 65.98
सरकारी तेल कंपनियों का घाटा
मई जून (अनुमानित)
डीजल 23.49 31.58 रु प्रति लीटर
पेट्रोल 16.34 21.43 रु प्रति लीटर
केरोसीन 28.72 35.98 रु प्रति लीटर
रसोई गैस 305.90 353 रु प्रति सिलेंडर