पेट्रोलियम क्षेत्र की सरकारी कंपनी ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) 2028 के मध्य से ईथेन गैस का आयात शुरू करने की तैयारी में है। इसके लिए कंपनी ने एक निविदा भी जारी की है। यह फैसला कतर से मिलने वाली तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) की संरचना में बदलाव को देखते हुए किया गया है।
फिलहाल भारत हर साल कतर से करीब 75 लाख टन एलएनजी मंगाता है। इसमें से 50 लाख टन की सप्लाई कतर एनर्जी करती है। इस गैस में मीथेन के साथ-साथ ईथेन और प्रोपेन भी मौजूद रहते हैं। मीथेन का इस्तेमाल बिजली उत्पादन, उर्वरक निर्माण, सीएनजी और खाना पकाने में ईंधन के तौर पर होता है। लेकिन कतर के साथ यह अनुबंध 2028 में खत्म हो रहा है।
ओएनजीसी ने गुजरात के दाहेज में सी2 (ईथेन) और सी3 (प्रोपेन) गैस को अलग करने का एक संयंत्र लगाया है, जिस पर करीब 1,500 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इस संयंत्र से निकाली गई गैस का उपयोग कंपनी की पेट्रोरसायन इकाई ओएनजीसी पेट्रो एडिशन लिमिटेड (ओपीएएल) करती है।
कतर से मिलने वाली गैस की संरचना में बदलाव के बाद अब ओएनजीसी को सी2/सी3 गैस की सप्लाई प्रभावित होने की आशंका है। इसी को देखते हुए कंपनी ने ईथेन आयात की योजना बनाई है।