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उत्खनन में हमारे काम से भारत बने सिरमौर

Last Updated- December 07, 2022 | 3:01 AM IST

बाल्को और हिंदुस्तान जिंक में बहुलांश हिस्सेदारी खरीदने के बाद वेदान्त समूह ने हाल ही में अमेरिकी कंपनी असार्को का अधिग्रहण किया है।


असार्को के अधिग्रहण के बाद वेदान्त समूह के कार्यकारी निदेशक अनिल अग्रवाल ने इस अधिग्रहण के बारे में और कंपनी की भविष्य की योजनाओं के बारे में बातचीत की हमारे संवाददाता रंजू सरकार से। पेश हैं बातचीत के कुछ मुख्य अंश-

अधिग्रहण के बारे में –

असार्को 108 साल पुरानी कंपनी है। यह अमेरिका में तीसरी सबसे बड़ी तांबा कंपनी है जो घाटे के दौर से गुजर रही है। 10 महीने पहले कोर्ट ने इस कंपनी की संपत्ति को नीलाम करने के लिए लीमान ब्रदर्स को नियुक्त किया गया था।

इसके लिए 6-7 कंपनियों ने बोली लगाई थी लेकि न इस नीलामी में यह कंपनी हमें मिल गई है। 23 मई को हमें औपचारिक तौर पर इस कंपनी के अधिग्रहण के अधिकार दे दिए गए। हमने हमेशा ही उस जगह अधिग्रहण किया है जहां हमें ज्यादा संभावनाएं दिखती हैं। अगर भारत में गौर करे तो इसी वजह से हमने भारत एल्युमिनियम (बाल्को) और हिंदुस्तान जिंक का अधिग्रहण किया था।

असार्को संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 2,35,000 टन तांबे का उत्पादन करने की है। हम इसे और आधुनिक बनाकर इसे कम दर पर उत्पादन करने वाले संयंत्र के रूप में विकसित करेंगे। हम वेदान्त समूह की तकनीकी क्षमता का उपयोग इस संयंत्र को और बेहतर बनाने के लिए करेंगे।

तांबे के कारोबार में भी काफी संभावनाएं हैं। भारत में हमारी क्षमता सालाना 400,000 टन और ऑस्ट्रेलिया में 2,50,000 टन और अब अमेरिका में भी 2,35,000 टन तांबे का उत्पादन करने की है।

इस अधिग्रहण के बाद हम दुनिया भर में तांबे के कारोबार में अच्छी पकड़ बनाने में आसानी होगी। हो सकता है कि कोडेल्को और फ्रीपोर्ट मैक मोरन के बाद हम दुनिया में तीसरे सबसे बडे तांबा उत्पादक बन जाए। अमेरिका में किसी भी भारतीय कंपनी का यह सबसे बड़ा अधिग्रहण है।

भविष्य की योजनाओं पर-

हम इस अवसर के मिलने से बहुत रोमांचित हैं। हम धातु  और उत्खनन के क्षेत्र में अपनी एक पहचान बनाना चाहते हैं। हम वहां भारत के प्रतिनिधि बनना चाहते हैं। पांच साल पहले (दिसंबर 2003) में हमने वेदान्त समूह को लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया था। आज हम एफटीएसई-100 कंपनी हैं। हम चाहते हैं कि उत्खनन क्षेत्र में भारत एक अच्छा केंद्र बन कर उभरे औैर इसमें हमारा भी योगदान हो।  इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाने  के लिए कंपनी हर अवसर पर नजर रख रही है।

बाल्को-हिंदुस्तान जिंक पर

बाल्को के अधिग्रहण की प्रक्रिया अभी चल रही है। हम जल्दबाज में नहीं हैं। इन दोनों ही कंपनियों में हमारी बहुलांश हिस्सेदारी है। हमें उम्मीद है कि आने वाले कुछ महीनों में इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।

यह है हकीकत –

यह सही नहीं है। हमने हाल ही में झारसुगुड़ा में एल्युमिनियम स्मेल्टर लगाने के साथ ही  परियोजना का पहला चरण शुरू कर दिया है। हम इस परियोजना में अपनी नियोजित योजना से एक साल आगे चल रहे हैं। लांजीगढ़ में 14 लाख टन क्षमता वाली एल्युमिनियम रिफाइनरी पिछले साल ही शुरू हो गई थी।

हम अभी तक खदान से इस संयंत्र के लिए बॉक्साइट के उत्खनन की मंजूरी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। इन परियोजनाओं के रास्ते में सांस्कृतिक मुद्दे और परेशानियां आड़े आ रही हैं।

…खरा है तांबे का सौदा भी

कंपनी ने हाल ही में बाल्को और हिंदुस्तान में खरीदी थी बहुलांश हिस्सेदारी
किसी भारतीय कंपनी का अमेरिका में सबसे बड़ा अधिग्रहण
तीसरी सबसे बड़ी तांबा उत्पादक कंपनी बनने की राह पर बढ़ रही है वेदांत

First Published - June 2, 2008 | 1:23 AM IST

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