एक्सन मोबिल कॉर्पोरेशन ने आखिरकार एक बार फिर दुनिया में अपना परचम फहरा दिया है।
कंपनी ने बाजार पूंजीकरण के लिहाज से विश्व की सबसे बड़ी कंपनी पेट्रोचाइना कॉर्पोरेशन की बादशाहत को खत्म करते हुए नंबर एक की गद्दी हासिल कर ली है।गत वर्ष नवंबर में ही पेट्रोचाइना ने एक्सन को नंबर एक की गद्दी से उतारा था। यह अलग बात है कि एक्सन को इस कुर्सी पर कब्जा जमाने के लिए कोई खास मशक्कत नहीं करनी पड़ी है।
दरअसल, शांघाई शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद से अब तक पेट्रोचाइना के शेयर 58 फीसदी गिर चुके हैं। ऐसे में खुद-ब-खुद एक्सन के लिए सिंहासन खाली हो गया है। बुधवार को पेट्रोचाइना के शेयर 2.5 फीसदी गिरकर 18.54 फीसदी पर पहुंच गए। इस तरह कंपनी का बाजार पूंजीकरण 18124अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
वहीं टेक्सास की कंपनी एक्सन मोबिल का बाजार पूंजीकरण 18234 अरब डॉलर आंका गया है। वैश्विक बाजार में ऊर्जा संसाधनों की रिकार्ड कीमतों के बीच कंपनी के शेयरों के भाव पिछले एक वर्ष में 13 फीसदी तक बढ़े हैं। नेवाडा में नवेलियर ऐंड एसोसिएट्स इंक के पोर्टफोलियो प्रबंधक फिलिप मिटेलडोर्फ ने कहा कि पेट्रोचाइना में फिलहाल निवेश करना कहीं से भी सही नहीं जान पड़ता है।
उन्होंने कहा कि कंपनी का हश्र शेयर बाजारों में जिस तरीके का रहा है उससे निवेशकों ने इससे दूरी बनाए रखना ही सही समझा है। वहीं दूसरी ओर एक्सन के लिए पिछला कुछ समय उतसाहजनक रहा है। कंपनी ने पिछले वर्ष 40.6 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया था जो कि किसी भी अमेरिकी कंपनी के लिए सबसे अधिक थी। कंपनी की बिक्री का ग्राफ भी 2007 में रिकार्ड स्तर पर रहा था।
कंपनी ने 358.6 अरब डॉलर की बिक्री की थी। यह आंकड़ा इस लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका, जापान और जर्मनी समेत 19 देशों को अगर छोड़ दें तो किसी भी देश का सकल घरेलू उत्पाद भी इतना नहीं रहा है।
विश्लेषक जेम्स हैलोरन का कहना है कि जिन निवेशकों ने ये सोचकर पेट्रोचाइना में निवेश किया था कि चीन में ऊर्जा संसाधनों की मांग में बढ़ोतरी की वजह से कंपनी के शेयर भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे, उन्हें निराशा के अलावा और कुछ हाथ नहीं लगा है। सरकार की ओर से ईंधन की कीमतों को काबू में रखने के लिए पिछले साल जो कदम उठाए गए थे, उससे भी पेट्रोचाइना की रिफाइनरियों को हर हफ्ते 5.4 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ था।