उत्तर प्रदेश सरकार बीमार चीनी उद्योग के निजीकरण के लिए तेजी से कदम उठा रही है। ऐसा करने केपीछे सरकार का उद्देश्य परिचालन क्षमता का विकास, उत्पादन में वृद्धि, गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में कमी लाना और उत्पादन न करने वाली इकाइयों को बंद करना शामिल है।
राज्य की 28 चीनी मिलों में से 25 मिलों के निजीकरण के लिए सरकार ने सारी परिसंपत्तियों और देनदारियों के हस्तांतरण के लिए पात्रता और प्रस्ताव आग्रह (आरएफपी आरएफक्यू) आमंत्रित किए हैं। इनमें से ज्यादातर मिलें गांवों में हैं और घाटे में चल रही हैं।
इससे पहले राज्य की 33 चीनी मिलों के लिए निजी क्षेत्र की पांच कंपनियों गैमन इंडिया, डालमिया शुगर, नोएडा की यूफ्लेक्स, ऐरा लैंडमार्क और चङ्ढा शुगर द्वारा दाखिल अभिरुचि पत्र की जांच एक उच्च स्तरीय समिति कर रही है। सरकार ने निजी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए नियम एवं शर्तों में कुछ ढील दी थी और जमीन के उपयोग की शर्तों को भी थोड़ा नरम किया था।
उत्तर प्रदेश का चीनी उद्योग मौसम परिवर्तन के कारण मांग और आपूर्ति में उतार-चढाव से गुजर रहा है। साथ ही गन्ने की कीमत का मसला, कई विवाद और महंगाई के समय सरकार की मूल्य संबंधी नीतियों ने तो चीनी मिलों की स्थिति बदतर कर दी। निर्यात पर प्रतिबंध लगने से चीनी मिलों की कमर ही टूट गई। इन 25 चीनी मिलों में सरकार एक बड़े हिस्सेदार में शामिल है। बाकी की तीन मिलों का मामला अभी भी न्यायालय में लंबित है और इसलिए इसकी बिक्री पर कोई विचार नहीं हो सकता है।
गन्ना विभाग के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि सरकार ने हालांकि भूमि से संबंधित नियमों में ढील तो दे दी है, लेकिन इसके बावजूद निजी कंपनियां इसमें ज्यादा रुचि नही दिखा रही है। इसकी एक वजह यह है कि ये चीनी मिल केंद्रीय सहकारी मिलों की तरह काम नही करती हैं। हालांकि भारतीय चीनी मिल संघ के सचिव सी बी पटोदिया ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया कि निजी क्षेत्र की कंपनियां को-ऑपरेटिव क्षेत्र की चीनी मिलों को ज्यादा तरजीह देती है, क्योंकि उसके गन्ने का क्षेत्र कॉरपोरेशन मिल की तुलना में ज्यादा विस्तृत होते हैं।
उन्होंने कहा कि को-ऑरपेटिव इकाइयों की चीनी मिलों की मशीनें और प्लांट भी अपेक्षाकृत नए होते हैं। उन्होंने दावा किया कि अगर किसी प्रकार की प्रशासकीय और कानूनी बाधा नहीं आई, तो अगले मौसम तक उत्तर प्रदेश की सारी चीनी मिलों का निजीकरण हो जाएगा। उत्तर प्रदेश गन्ना सहकारी सोसाइटी ने आरएफक्यूआरएफपी के लिए वैश्विक निविदा आमंत्रित करने की सूचना दे दी है।
चीनी कम है
राज्य में 28 चीनी मिलों में से 25 मिलों के निजीकरण की तैयारी
निजी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए नियम-शर्तों में ढील